कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुणे की 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को धार्मिक भावनाएं आहत करने के एक वीडियो मामले में अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अगली सुनवाई में केस डायरी जमा करने का निर्देश दिया. जस्टिस पार्थसारथी चटर्जी की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं.

शर्मिष्ठा को 30 मई को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने 14 मई को इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी की आलोचना करते हुए इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. इस वीडियो के वायरल होने के बाद व्यापक विरोध हुआ और शर्मिष्ठा को रेप और मौत की धमकियां मिलीं. उन्होंने वीडियो हटाकर 15 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बिना शर्त माफी मांग ली. उन्होंने कहा कि मेरी टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं और मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था.

इन धाराओं के तहत मामला दर्ज

कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196(1)(a) (धर्म के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 352 (शांति भंग करने के लिए उकसाना), और 353(1)(c) (सार्वजनिक उपद्रव भड़काने) के तहत FIR दर्ज की गई. पुलिस ने दावा किया कि शर्मिष्ठा और उनके परिवार को नोटिस देने की कोशिश नाकाम रही, जिसके बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया. 31 मई को अलीपुर कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

सुनवाई के दौरान शर्मिष्ठा के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस ने उनका मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया है, इसलिए हिरासत की जरूरत नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा कि शर्मिष्ठा ने माफी मांग ली थी और उनकी टिप्पणी का इरादा देशभक्ति दिखाना था. लेकिन कोर्ट ने कहा कि उनके बयान ने समाज के एक वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और धार्मिक अशांति पैदा की. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि जेल में शर्मिष्ठा को सभी जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी लेकिन उन्हें जेल यूनिफॉर्म पहननी होगी.

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