जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

देशभर में द कश्मीर फाइल्स पर गरम बहस शुरू हो चुकी है। हर भारतीय यह जानना चाहता है कि आखिर कश्मीर में 1990 में आखिर क्या हुआ था कि कश्मीरियों को वहां से भागना पड़ा। कश्मीर मुद्दे पर बनी फिल्म के रिलीज होने के बाद इस फिल्म को एक अलग निगाह से देखा जा रहा है, अर्थात हिंदू वर्सेस मुसलमान। एक-दूसरे की सरकारों पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं कि उस वक्त की सरकारों पर कश्मीरियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए था। असल में वहीं, कश्मीर में जो अलगाववादी संगठन है वो नहीं चाहते कि वहां पर हिंदू आकर रहे या बसे। वहां उस समय जो हुआ उस घटना को द कश्मीर फाइल्स में बताया गया। 32 बरस बाद जब इस फिल्म के माध्यम से सच लोगों के सामने आ रहा है तो इस सच को दबाने का प्रयास शुरू हो गया है। 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में युवाओं को बरगलाकर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल किया जाता है और ये कार्य बरसों से चला आ रहा है। अर्थात देश में रहकर देश की खिलाफत करना। अगर फिल्म के माध्यम से सच्चाई को बताया जा रहा है तो हमारे देश में रहने वाले मुसलमानों को तो कोई एतराज ही होना नहीं चाहिए और ना ही किसी पार्टी को, क्योंकि हम सब पहले भारतीय उसके बाद धर्म और मजहब। इस पिक्चर को  देखकर ही हकीकत का पता लगाया जा सकता है। अभी कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक खबर यह भी वायरल हुई की फिल्म इंडस्ट्रीज में अपनी धाक रखने वाले बड़े फिल्म कलाकार जो मुस्लिम समाज से जुड़े हैं, उन्होंने मल्टी प्लेक्स वालों को धमकी दी कि अगर द कश्मीर फाइल्स फिल्म उन्होंने जल्द से जल्द नहीं उतारी तो उनकी आने वाली फिल्में उनके मल्टी प्लेक्स में रिलीज नहीं होने देंगे। हमारे देश में सभी जाति और धर्म के लोग रह रहे हैं, उन्हें कभी कोई आपत्ति एक-दूसरे से नहीं है, लेकिन जब भी कश्मीर की बात आती है तो यहां का मुस्लिम भारत के खिलाफ ही बोलने लगता है, जबकि वह भारतीय है, लेकिन अपने-आपको भारतीय नहीं मानता। कुछ दिनों पहले कुछ मुस्लिम लोगों ने कहा था कि भारत में डर लगता है, असहिष्णुता जैसी बातें कही गई थी। अगर उन्हें यहां डर लगता है तो भारत छोड़कर जाना चाहिए। आपको बता दे कि ये लोग भारत छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते, क्योंकि यहां बोलने की आजादी, रहने की आजादी और एक स्वच्छंद वातावरण है। हमारे देश में संविधान को महत्व दिया जाता है, लोगों के नैतिक मूल्यों का खास ध्यान रखा जाता है। यहां यह बात कहना भी उचित है कि सदाचार व्यक्ति को देवत्व की ओर ले जाता और दुराचार मनुष्य को पशु बना देता है। ठीक इसी तरह की घटना कश्मीर में घटित हुई। कश्मीर की हकीकत अगर वहां से पलायन कर गए कश्मीरी उजागर कर रहे हैं तो उन पर भी सवाल उठाया जा रहा है।  19 जनवरी 1990 को वो दिन माना जाता है जब कश्मीर के पंडितों को अपना घर छोड़ने का फरमान मस्जिदों से जारी हुआ था। कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तो जंग 1947 से ही जारी है पर कश्मीर में लोकल स्थिति इतनी खराब नहीं थी। तमाम सच्ची घटनाएं हैं, जो बताती है कि किस तरह मुसलमानों ने हिंदुओं पर जुर्म ढाए। अभी एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के दौरान एक पढ़ी-लिखी मुस्लिम युवती हिंदुओं को कह रही है कि तुम कटने के लिए ही पैदा हुए हो...।  एक मुस्लिम जोड़ा आदित्य मॉल इंदिरापुरम मूवी देखने गया “द कश्मीर फाइल्स” 

फिल्म देख कर अपना आपा खो बैठी और और जब लोगो ने विरोध किया तो पढ़ी-लिखी सी दिखने वाली औरत बोल रही है “ऐसा आगे भी होगा ...”

सोचो कितनी नफरत भरी पड़ी है इन लोगों में हिंदू धर्म के प्रति।

Post a Comment

Previous Post Next Post