श्रावण मास में महादेव के जलाभिषेक के लिए इंदौर में भव्य नंदीश्वर कावड़ यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा नगर भ्रमण पर निकली, जिसमें हजारों की संख्या में बाबा महाकाल के भक्तों ने भाग लिया। यात्रा का यह चौथा वर्ष है और यह 21 जुलाई को ओंकारेश्वर से मां नर्मदा का जल लेकर प्रारंभ हुई थी। इंदौर पहुंचने के बाद रात्रि विश्राम के पश्चात शुक्रवार सुबह यह यात्रा जूनी इंदौर, कलेक्टरेट से राजबाड़ा होते हुए मां अहिल्या को नमन कर उज्जैन के लिए रवाना हुई, जहां श्रावण मास के तीसरे सोमवार को बाबा महाकाल का जलाभिषेक किया जाएगा।
पूरे यात्रा मार्ग पर जगह-जगह स्वागत मंच बनाए गए और कावड़ियों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई। इस धार्मिक यात्रा को भव्य रूप देने के लिए घोड़े, ऊंट, ढोल-ताशों तथा आकर्षक झांकियों को भी शामिल किया गया। यात्रा में सम्मिलित कावड़िये भगवा रंग की पौशाक में नजर आए। आयोजन में शामिल सभी कावड़ियों के लिए भोजन, वस्त्र, कावड़ और ठहरने की संपूर्ण व्यवस्था भाजपा युवा मोर्चा के प्रभारी धनंजय अनीत जैन द्वारा की गई।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव का जलाभिषेक सर्वप्रथम समुद्र मंथन के समय देवताओं द्वारा किया गया था। हलाहल विष पीने के बाद उनके दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल शिवजी पर अर्पित किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि शिवलिंग पर शीतल जल, विशेष रूप से गंगा या नर्मदा का जल, चढ़ाया जाता है। इससे भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने त्रेता युग में उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर 'पुरा महादेव' (बागपत) में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। इसी आधार पर आज भी पूरे देश में शिवभक्त कांवड़ यात्रा करते हैं। कई विद्वान भगवान परशुराम को दुनिया का पहला कांवड़ यात्री मानते हैं। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए धनंजय अनीत जैन ने बताया कि नर्मदा जल से बाबा महाकाल का जलाभिषेक इस वर्ष 28 जुलाई को होगा और सभी भक्तों की श्रद्धा व सेवा से यह यात्रा हर वर्ष अधिक भव्य होती जा रही है।
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