इंदौर में संत रविदास और डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाए जाने पर लोग भड़क गए हैं। नगर निगम ने आरई-2 से इन प्रतिमाओं को हटाया जिस पर बवाल हो रहा है। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने भी कड़ा विरोध जताया है।
उन्होंने नगर निगम और जिला प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रतिमाओं को बिना किसी नोटिस के हटाया गया है। दिग्विजयसिंह ने दावा किया कि जिन प्रतिमाओं का अनावरण भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ने किया था, उन्हें हटाने पर हार्डिया सहित किसी भी भाजपा नेता ने विरोध नहीं किया। प्रशासन और निगम ने बिना किसी पूर्व सूचना के विधानसभा क्षेत्र-5 स्थित आरई-2 से इन प्रतिमाओं को हटाया है।
हालांकि, विधायक महेंद्र हार्डिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने इन प्रतिमाओं का अनावरण नहीं किया था। उन्होंने बताया कि वे केवल एक बार किसी परिचय सम्मेलन में गए थे, जहां उन्होंने प्रतिमाओं पर पुष्प माला चढ़ाकर प्रणाम किया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि प्रतिमाएं कब और क्यों हटाई गई हैं। वर्तमान में शहर से बाहर होने की बात कहते हुए हार्डिया ने यह आश्वासन दिया कि इंदौर लौटने पर वे पूरे मामले को समझेंगे।
दिग्विजयसिंह ने आगे आरोप लगाया कि दोनों प्रतिमाओं को जीप में पैरों के नीचे रखकर ले जाया गया, जो बेहद अपमानजनक है। उन्होंने मांग की है कि दोनों प्रतिमाओं को सम्मानपूर्वक फिर से स्थापित किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस कमिश्नर से इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
आरई-2 के लिए कुछ दिन पहले झुग्गी बस्तियां भी हटाई गई थी। उस समय भी बहुत बवाल हुआ था। वहां पर रहने वाले लोगों का कहना था कि वे 40 साल से अधिक समय से वहां पर रह रहे हैं और उन्हें बिना कोई जगह दिए ही हटा दिया। हालांकि निगम का कहना है कि सभी को निगम द्वारा बनाए गए फ्लैट दिए गए उसके बाद ही उन्हें हटाया गया।
दिग्विजयसिंह के प्रतिमा हटाने वाले स्थान पर जाने के बाद निगम और प्रशासन की ओर से कार्रवाई को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया गया। इसमें कहा गया कि पिपल्याहाना के सर्वे नंबर 644 रकबा 4.905 चरनोई की जमीन पर हुए अवैध कब्जे को हटा दिया है। यह कार्रवाई जिला प्रशासन व नगर निगम की टीम ने संयुक्त रूप से की है। एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया कि उक्त भूमि पर दो पक्के चबूतरे बनाकर उन पर मूर्ति स्थापित कर व शौचालय, टीनशेड बनाकर अतिक्रमण किया गया है। तहसीलदार लोकेश आहूजा ने कलेक्टर के आदेश पर नगर निगम के साथ इस जमीन से अतिक्रमण हटा दिया। इस जमीन का बाजार मूल्य 40 करोड़ से भी अधिक है। जांच में यह भी बात सामने आई कि वर्ष 2019 में भी अवैध कब्जे का प्रयास किया गया था एवं स्थानीय रहवासियों के अनुसार यहां कच्चा शमशान था जो कि राजस्व रिकॉर्ड में शासकीय चरनोई की मद में दर्ज है।
दिग्विजयसिंह पिपलियाहाना स्थित उस जगह पहुंचे जहां से संत रविदास और भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाएं हटाई गई हैं। दिग्विजयसिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जिस जगह पर मूर्तियां लगी थीं, वहां मैं आज शुक्रवार सुबह गया था। वहां मंदिर-आश्रम भी है, दुकानें भी हैं, लेकिन उन्हें नहीं हटाया। वहां दुकानों पर केवल नोटिस चस्पा किए गए हैं। निगम और प्रशासन ने केवल दोनों प्रतिमाएं ही हटाईं। उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यदि सरकारी जमीन है तो उसे पूरी तरह से मुक्त कराया जाना चाहिए। इससे पहले दिग्विजयसिंह ने ट्वीट कर प्रतिमाएं हटाए जाने का विरोध किया था। उन्होंने नगर निगम और जिला प्रशासन पर साठगांठ करके प्रतिमाएं हटाने का आरोप लगाया।
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