मध्य प्रदेश के जिला अस्पतालों से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रेफर होने वाले मरीजों के मामले में दलालों का नेटवर्क सक्रिय हो गया है। इन दलालों की मदद से मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, जो सरकारी अस्पतालों में इलाज के बजाय निजी अस्पतालों में इलाज के लिए भेजते हैं। हाल ही में एक मामला सामने आया है, जिसमें हरदा जिले से एक मरीज को दलालों के माध्यम से निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। अब इस मामले में हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक सुनील टंडन ने छह दलाल को पकड़ा है। वहीं, मिलीभगत के चलते दो वॉर्ड बॉय को हटा दिया है।
यह है मामला
18 नवंबर को हरदा के भादू गांव में एक दुर्घटना में दिनेश नामक व्यक्ति घायल हो गया था। दिनेश (45) की जांघ की हड्डी टूट गई थी और सिर तथा पैरों में भी गंभीर चोटें आई थीं। इसके बाद, उन्हें हरदा जिला अस्पताल से हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन, अस्पताल में उनका इलाज करने के बजाय हमीदिया अस्पताल के स्टाफ की मिलीभगत से दलालों ने आधे घंटे में ही उन्हें एक निजी मल्टी केयर अस्पताल में भर्ती करा दिया। मरीज दिनेश ने इस मामले पर बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उन्हें निजी अस्पताल में क्यों भर्ती कराया गया। उनके साथ उनका भाई था और उन्हें बताया गया था कि उन्हें हरदा से हमीदिया रेफर किया गया था। यहां आकर डॉक्टर ने उनका चेकअप किया, लेकिन निजी अस्पताल में भेज दिया गया।
हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक सुनील टंडन को अमर उजाला ने दलालों के सक्रिय होने की सूचना दी थी। इसके बाद उन्होंने तुरंत मरीज को हमीदिया अस्पताल में शिफ्ट किया और मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग को खंगाला। अधीक्षक ने बताया कि लगातार मॉनीटरिंग करने के बाद दलालों को रंगहाथ पकड़ा। 6 दलालों को पुलिस के हवाले किया गया है। हमीदिया अस्पताल के दो वॉर्ड बॉय की मिलीभगत होने से उनको नौकरी से हटा दिया है।
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