भोपाल | मध्य प्रदेश की सरकार एक बार फिर भारी कर्ज लेने जा रही है. यह कर्ज 88 हजार 540 करोड़ रुपये का होगा. इससे सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालित कर सकेगी. इस कर्ज में सरकार 73 हजार 540 करोड़ रुपये बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से लेगी. पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 फीसदी ज्यादा है. सरकार ने साल 2023-24 वित्त वर्ष में 55 हजार 708 रुपये का कर्ज लिया था. इस मामले को लेकर वित्तीय मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कर्ज लेना कोई बड़ी या महत्वपूर्ण बात नहीं है. सरकार विकास के लिए कर्ज लेती भी है और समय पर उसका भुगतान भी करती है. कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.
बता दें, सरकार की फिलहाल कुल आय 2.52 लोख करोड़ रुपये है. जबकि, उसका राजस्व खर्चा 2.51 लाख करोड़ रुपये है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की आय के मुकाबले खर्चा ज्यादा हो रहा है. इसलिए सरकार को फिलहाल उन्हीं योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, जो जरूरी हों. सरकार कर्ज लेकर खर्च कर रही है यह ठीक नहीं है. सरकार को अपनी आय के स्रोत बढ़ाने होंगे. गौरतलब है कि वर्तमान में सरकार प्रदेश की ‘फ्री बी’ योजनाओं पर जबरदस्त खर्च कर रही है. इसके बारे में सोचा जाना चाहिए.
सरकार कहां कर रही खर्च
सरकार लाड़ली बहना योजना पर हर साल 18 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. लोगो को 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली दी जा रही है. इसके लिए सरकार 5500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. सरकार अगर कृषि पंपों पर सब्सिडी देना चाहती है तो उसे 17 हजार करोड़ रुपये चाहिए. 450 रुपये में सिलेंडर देने के लिए एक हजार करोड़ रुपये चाहिए. इस तरह की योजनाओं पर सरकार 25 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इसके अलावा कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर भी सरकार का खर्च हो रहा है. सरकार को जीपीएफ में भी नुकसान हो रहा है.
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