नई दिल्ली | मिडिल ईस्ट इस समय बारूद के ढेर पर बैठा
है। मिस्र, सऊदी अरब और UAE जैसे मुस्लिम बहुल देश साथ आ सकते हैं। 7 अक्टूबर को दक्षिण
इजरायल में सुन्नी हमास आतंकियों के कत्लेआम मचाने के बाद गाजा में जवाबी ऐक्शन देखने
को मिल रहा है। अब तक लड़ाकू विमान से गोले बरसाए जा रहे हैं लेकिन आशंका यह भी जताई
जा रही है कि इजरायल आगे अपनी सेना को गाजा में घुसकर जमीनी कार्रवाई का आदेश दे सकता
है। इस तरह से देखें तो मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। पूरी
दुनिया खासतौर से लोकतांत्रिक देश सांसें थामे इस घटनाक्रम को देख रहे हैं। भारत मिडिल
ईस्ट के घटनाक्रम को बारीकी से देख रहा है। वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन
शुरू कर दिया गया है। हालांकि कई ऐसे सीन बन सकते हैं जिससे वैश्विक शांति एवं स्थिरता
के लिए खतरा पैदा हो सकता है। आइए जानते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के रणनीतिकारों की राय इस बात पर बंटी
हुई है कि क्या इजरायल-हमास की लड़ाई मिडिल ईस्ट और पूरी दुनिया को अपनी जद में ले
सकती है या यह सीमित ही रहेगा। इस सवाल का जवाब काफी हद तक इजरायल की जवाबी कार्रवाई
के मद्देनजर ईरान समर्थित हिजबुल्ला आतंकी संगठन के मंसूबों पर निर्भर करता है। अब
तक देखा गया है कि हिजबुल्ला ने केवल उत्तरी इजरायल में चेतावनी देते हुए गोलियां दागी
हैं और खुद मौखिक तौर पर हमास के लिए एकजुटता दिखाई है। अगर हिजबुल्ला उत्तरी इजरायल
पर खुलकर हमले शुरू करता है तो मुख्य समर्थक शिया बहुल ईरान भी संघर्ष में कूद सकता
है इससे युद्ध क्षेत्र का दायरा बढ़ जाएगा।
ईरान यहूदियों और इजरायल का घोषित दुश्मन है। वह 3 जनवरी 2020 को बगदाद में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के चीफ कासिम सुलेमानी की हत्या के लिए मोसाद और सीआईए को जिम्मेदार मानता है। ईरान अपने मुख्य परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या का भी बदला लेना चाहता है। 27 नवंबर 2020 को मोहसिन की कथित तौर पर मोसाद के एजेंटों ने ईरान में हत्या कर दी थी। ईरान का एक बड़ा कट्टर तबका मानता है कि 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार जेल में बंद कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को देना और देश में महिलाओं को लेकर मौजूदा अशांति पैदा करने के पीछे अमेरिका का हाथ है।
Post a Comment