राजगढ़। मध्य्प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित जिला जेल में कैदी की मौत होने का शनिवार को दूसरा मामला सामने आया है, इसके पूर्व में एक और कैदी इलाज़ के आभाव में दम तोड़ चुका है। वहीं जेलर के विरुद्ध पूर्व में भी कैदियों के परिजनों से रिश्वत मांगने के आरोप लगाए गए थे, जिसकी जांच अभी लंबित है। वहीं, दूसरी बार फिर से जेलर पर रिश्वत मांगने के आरोप लगाए गए हैं,जो कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और जेलर पर इतने आरोप लगने के बाद भी कुर्सी से न हटाना किसी बड़े नेता के संरक्षण की और इशारा कर रहा है।

दरअसल राजगढ़ जिला जेल में लगभग एक माह पूर्व से एनडीपीएस एक्ट में निरुद्ध विचाराधीन बंदी अनीस खान जो कि सारंगपुर क्षेत्र के निवासी थे, जिन्हें शनिवार को मृत अवस्था में जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक बंदी की जानकारी जैसे ही परिजनों को लगी वे सभी राजगढ़ जिला जेल के बाहर एकात्रित हो गए और जेलर को निलंबित करने की मांग करने लगे। आक्रोश बढ़ता हुआ देख एडिशनल एसपी व एसडीएम सहित एसडीओपी मनकामना प्रसाद मौके पर पहुंचे और भीड़ को शान्त करते हुए जेल के CCTV फुटेज चेक किए गए, जिसमें पाया गया कि बंदी अनीस खान जिला जेल में ही दम तोड़ चुके थे और उन्हें मृत अवस्था में जिला अस्पताल ले जाया गया।

एडिशनल एसपी मनकामना प्रसाद ने बताया कि हमने मृतक बंदी कि मेडिकल रिपोर्ट भी चेक की, जिसमें उनका बीपी कम आ रहा था, साथ ही उन्होंने जेलर पर लगे आरोप पर कहा कि हमने पूर्व में जो जांच दल गठित किया था, उसमें भी यह बात सामने आई थी जिसका परीक्षण कराया जा रहा है और अब भी यह बात सामने आई है जिसकी जांच कराई जाएगी और जांच के बाद ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

मौके पर मौजूद परिजनों ने जेलर व प्रबन्धन पर हर काम के लिए रिश्वत मांगने के आरोप लगाये हैं। परिजनों का कहना है कि जेल में बंद बंदी से वे जब भी मिलने के लिए आते उनसे रुपयों की मांग की जाती और जेल में दवाई या गोली भेजने के लिए भी पैसे देना पड़ते। एक एविल की गोली भी जेल के अंदर भेजने के लिए दो हज़ार रुपये देने पड़ते, तब जाकर एक गोली अंदर जाती थी। अभी भी यही हुआ उनके बंदी की तबियत ज्यादा खराब होने के बाद भी उनका उपचार नहीं कराया गया, जब वे यहीं खत्म हो गए तब जाकर उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। यदि उन्हें समय पर उपचार मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी।

बता दें, राजगढ़ जिला जेल में पदस्थ नारायण सिंह राणा शुरुआत से ही विवादों से घिरे हैं। उन पर रिश्वत सहित अन्य आरोप कई बार लग चुके हैं, इसके पूर्व में भी लगभग एक से डेढ़ वर्ष पूर्व मुस्लिम बंदियों की दाढ़ी काटने के आरोप में उन पर जांच बैठाई गई थी, जिसमें वे निर्दोष साबित किए गए थे। वहीं इसी माह की शुरुआत में ही इलाज़ के आभाव में हुई एक बुजुर्ग कैदी की मौत के मामले में भी उन पर रिश्वत के गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसकी अभी जांच लंबित है और ताज़ा मामला हाल ही में पेश आया है, जिसमें फिर से उन पर रिश्वत मांगने व मनमानी करने के आरोप लगाए गए हैं।

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