जिस धार्मिक नगरी में जयश्री महाकाल से होती है सुबह की शुरुआत और रात वहां के लोगों का व्यवहार निकला निर्दयी

आप खुद को कभी माफ नहीं कर पाओगे

जवाबदेही उज्जैन 

जिस उज्जैन शहर में सुबह की शुरुआत जयश्री महाकाल से होती हो और रात भी जयश्री महाकाल के जयघोष से होती हो, वहां के निवासियों में इंसानियत नहीं जाग पाई। इस शहर में करोड़ों रुपए खर्च कर महाकाल लोक का निर्माण किया गया। देशभर के श्रद्धालुओं में आस्था तो जागी, लेकिन उज्जैनवासियों की इंसानियत कहीं खो गई।

तीर्थ नगरी के नाम से जाने जाने वाले शहर के लोग निर्दयी निकले, क्योंकि दुष्कर्म के बाद खून से सनी 12 साल की बच्ची ढाई घंटे तक लोगों के दर-दर भटकी और बेहोश भी हो गई, लेकिन इन निर्दयी लोगों की इंसानियत नहीं जागी। पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया और उन्होंने खून देकर उस बच्ची की जान बचाई।


मुख्यमंत्री जी, क्या गरीब और क्या अमीर सब भांजियां आपके लिए एक समान है, लेकिन उज्जैन स्थित जिस घर की चौखट पर खड़ी होकर शायद यह युवक आपका रिश्तों में भांजा भी लगे, उसके सामने मदद की गुहार कर रही है, लेकिन इस अर्धनग्न लड़की का रुदन इस उज्जैन में रहने वाले भांजे को दिखाई नहीं दिया। इसके लिए उज्जैन वासियों के लिए शर्म की बात है। आपकी तीर्थ नगरी में यदि कोई इस तरह से लाचार होकर आपके द्वार-द्वार पर आकर मदद मांग रहा है कि उसकी सहायता करो और आप सिर्फ टकटकी लगाए उस पीड़िता को देखते रहते हैं तो वाकई ये आपके लिए शर्मनाक है।

इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में कई धार्मिक स्थलों पर ‘लोक’ निर्माण की कवायद कर रहे हैं, काश इस ‘लोक’ में रहने वाले लोग पहले इंसानियत को समझे तो धार्मिक नगरी में इंसान रहते हैं यह भी कहा जाए....। वरना कितने भी लोक का निर्माण कर दो, लोगों में इंसानियत नहीं जागेगी और माटी-सीमेंट से निर्मित ‘लोक’ को श्रद्धा से नहीं, बल्कि पर्यटन स्थल है कि वजह से देखने आएंगे।

क्या महाकाल करेंगे आपको माफ

जिस प्रदेश में बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी कहकर पुकारा जाता है, जिस प्रदेश में बेटियां होने पर थालियां बजवाई जाती हैं, ढोल बजाए जाते हैं, जश्न मनाया जाता है, उस प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में एक बेटी का शील भंग होना और उसका मदद के लिए दर-दर भटकना और लोगों द्वारा मदद नहीं करने पर क्या महाकाल आपको माफ कर देंगे?

इंसान में ही भगवान है

इंसान में ही भगवान है, उसे मंदिरों में ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह से पुलिसकर्मियों ने उस बच्ची की मदद की वो भगवान के रूप में ही उस तक पहुंचे। इस भावना के साथ यदि मनुष्य पीड़ितों की मदद करेगा तो

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