सनातनी क्यों हिंदू पुकारे जाने लगे.. इसकी वजह भी बताई
इंदौर। इंदौर
के दस्तूर गार्डन में आयोजित एक दिवसीय प्रवचन माला के लिए महामंडलेश्वर अवधेशानंद
गिरी महाराज गुरुवार को इंदौर में थे। प्रभु प्रेमी संघ इंदौर द्वारा आयोजित प्रवचन
माला में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करने से पहले अवधेशानंद गिरी जी ने यहीं पर कुछ
शिष्यों को गुरु दीक्षा दी। जिसके बाद प्रवचन शुरू हुए।
मध्यप्रदेश
बड़ा ही आदरणीय प्रदेश है
अवधेशानंद जी
ने कहा कि भारत बचेगा तो संसार बचेगा, सभ्यता बचेगी। आज भारत पूरे विश्व की जरूरत बन
गया है। उसमें भी एक दृष्टि से एमपी बड़ा ही आदरणीय प्रदेश है। कोई पूछे गुरु कहां
मिलते हैं तो लोग कहते हैं गुरु नर्मदा के किनारे मिलते हैं। यानी गुरु एमपी में मिलता
है। नर्मदा के दर्शन का फल है गुरु की प्राप्ति। इंदौर हब है। स्वच्छता में पूरे देश
को आप 6 बार पछाड़ चुके हो। इंदौर में हर चीज बन जाती है। इंदौर सब कर लेता है। इंदौर
में संतो का आदर-स्वागत होता है। उज्जैन में कुंभ होता है। लेकिन उसकी तैयारी इंदौर
कर रहा होता है। इंदौर की यह बात हमने कहीं नहीं देखी। दो शहर ऐसे हैं जिनमें पैरेलल
सिंहस्थ चलता है, इंदौर और उज्जैन।
AI ने हाथ खड़े कर दिए हैं, उसे भी संस्कृत भाषा ही चाहिए
मनुष्य की मूल प्रवृत्ति करुणा है। आध्यात्मिक व्यक्ति कभी भी कन्या के घर आने पर विचलित नहीं होगा। हमेशा खुश रहेगा। एक पुत्री दस पुत्रों के बराबर होती है। 1 हजार बेटों के बराबर 1 पीपल का पेड़ है। भगवान विचार कर रहे थे की पृथ्वी पर मैं सभी दूर हूं। पीपल के पेड़ में तो पूरा-पूरा हूं। शमी, बेल पत्र, अश्व और तुलसी जैसे वृक्ष पृथ्वी पर नहीं रहेंगे तो हम पूजा कैसा करेंगे। इनके बिना पूजा अधूरी है। पुष्प में लक्ष्मी का वास है, यह हमेशा खिलते रहते हैं। इनके बिना हम रह नहीं सकते इंसान को खिलना और मुस्कराना यही सिखाते हैं। सनातन धर्म का पालन करने से ही पूर्णता आएगी। कोई पूछे कि हम कौन हैं। हम सनातनी हैं, बाद में हम सरल भाषा में कहने लगे कि हम हिंदू हैं। अध्यात्म के प्रकाश में अंधेरा नहीं रहता, छोटापन नहीं रहता। AI (आर्टफिशियल इंटिलिजैंस) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वह कहती है मुझे सरल व सही-सही भाषा दो। AI कहती है मुझे संस्कृत भाषा दो। मैं सब कुछ बताने को तैयार हूं लेकिन मुझे संस्कृत भाषा दी जाए। मुझे चाइनीज़, जापानी जैसी अन्य भाषा की जरूरत नहीं है।
जो अनुशासन
में रहता है पूरी धरती उसके अनुशासन में रहती है
राम जी के सेवा के लिए शिव जी
हनुमान बन गए। ब्रह्मा जी ने पूछा हम कैसे राम भगवान की सेवा करें। तो ब्रह्मा जी बन
गए वाल्मीकि और पूरी रामायण लिख दी। पार्वती जी ने पूछा निशाचर कौन है। जिस पर भगवान
ने कहा निशाचर वह है जो माता-पिता की आज्ञा का पालन नहीं करता है। भगवान अपने मन की
बात नारद के द्वारा करते हैं। लक्ष्मी जी ने पूछा कि आपका मन कहां रहता है। लक्ष्मी
जी ने भगवान से पूछा आपने मन किसी के पास रखा है या पूरा नारद को दे दिया है। इस पर
भगवान ने कहा मैंने पूरा मन नारद, संत और आचार्य को दे दिया है। तब लक्ष्मी माता ने
कहा मेरे मन में नारायण हैं। मेरा मन भारत के आचार्य और संत हैं। इसलिए कोई संत आपसे
कुछ कहता है, तो आपको समझना होगा कि भगवान सीधे आपसे कुछ कह रहे हैं।
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