इंदौर में जनसमस्या को लेकर शहरी सरकार चाहे नगर निगम हो, जिला प्रशासन हो या फिर ट्रैफिक विभाग कितने सजग रहते हैं, यह समस्याओं को देखकर ही पता चलता है। वर्तमान में शहर में ट्रैफिक की विकराल समस्या है, जो कभी न हल होने वाली दिखाई पड़ती है। जनप्रतिनिधि, जिन्हें जन समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है, वह सिर्फ विकास की हर योजना को लपकने के लिए ही शायद नेतागिरी कर रहे हैं। अभी हाल में घोषणा की गई है कि राजवाड़ा चौक पर अहिल्या लोक निर्माण पर नगर निगम 20 करोड़ रुपये खर्च करेगा। ज्ञात हो कि करीब 20 साल पहले भी नगर निगम ने राजवाड़ा के पास बड़ा उद्यान बनाया था और सड़क तक बंद कर दी थी, जिसका काफी विरोध हुआ, उसके बाद उद्यान का एक हिस्सा तुड़वाकर फिर सड़क बनाई थी और अब फिर यह विकास रूपी यह जिन्न बोतल से बाहर आया है और क्षेत्रीय व्यापारियों ने इसे लेकर विरोध का बिगुल भी बजा दिया है। जनप्रतिनिधियों और अफसरों को जब पता है कि राजवाड़ा पर ट्रैफिक को लेकर हालात  बिगड़ते हैं तो फिर ऐसी कवायद क्यों की जाती है। राजवाड़ा क्षेत्र का सिरदर्द कम करने के बजाए बढ़ाने की दिशा में ज्यादा ध्यान दिया जाता है। यहां पहले ही ट्रैफिक का कचूमर निकल जाता है। जनता का धन है, विकास के नाम पर खूब खर्च करो। फिर भी यदि आपको ‘आपके मुगालते’ दूर करना हो तो इंदौर की जनता से राय ले लो, हस्ताक्षर करवा लो कि क्या उन्हें राजवाड़ा पर इस लोक की आवश्यकता है...। लोगों की मर्जी भी जरूरी है। सफाई में नंबर वन आने की होड़ की वजह से अन्य समस्याओं की तरफ ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।  शहरभर में फुटपाथ पर कब्जे हो गए हैं, पैदल चलने वाले सड़क पर और वाहन चालक कब्जों से संकरी होती सड़कों पर वाहन चलाने पर मजबूर। ट्रैफिक अधिकारी सिर्फ ट्रैफिक सुधारने की दिशा में कार्ययोजना बनाते नजर आते हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं होता और इनकी योजनाएं कभी धरातल पर सफल होती दिखाई नहीं देती। हालात यह है कि शहर के लोग आज तक नहीं समझ पा रहे  हैं कि उन्हें लेफ्ट टर्न में वाहन लेकर नहीं खड़े रहना है, लेकिन वाहन खड़े कर देते हैं और इंतजार करते है ग्रीन सिग्नल का। दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन चालकों के हालात एक जैसे है। जिन वाहन चालकों को लेफ्ट टर्न होकर जाना है, वो परेशानी उठाते रहते हैं और इंतजार करते है ग्रीन सिग्नल का ताकि लेफ्ट टर्न पर खड़े वाहन निकले और वह अपना वाहन निकाल सके। और ऐसे हालात बने है सिर्फ ट्रैफिक पुलिस की वजह से। पाटनीपुरा चौराहा ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सबसे बदनाम चौराहा है, लोग तो नियम नहीं मानते और नियम का पालन कराने वाले ड्यूटी पर तो रहते हैं, लेकिन ड्यूटी चौराहे से सटी दुकानों में बैठकर कर रहे हैं, ट्रैफिक जवानों ने एक सैनेटरी की दुकान को अपना अड्डा बना लिया है, जहां बैठकर वह चौराहे पर हो रही अव्यवस्था को भी देखते रहते हैं, लेकिन ट्रैफिक नहीं संभालते., ऐसे हालात कई चौराहों पर देखे जा सकते हैं। 

-जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

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