जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

कानून व्यवस्था (लॉ एंड ऑर्डर) का राग अलापने और लोगों को इसका पाठ पढ़ाने और अनुशासन को लेकर ऊंची कॉलर करने वालों का कुछ नहीं बिगड़ा। एक अपराधी प्रवृत्ति का छात्र प्रिंसिपल को धमकाता है, प्रिंसिपल पुलिस को लिखित में शिकायत भी करती है..., लेकिन पुलिस का रवैया हमेशा की तरह दागदार ही रहा। आरोपी बीएम फॉर्मेसी कॉलेज की प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा को लगातार धमकी देता रहा और प्रिंसिपल पुलिस को शिकायत करती रही..., जिसका खामियाजा प्रिंसिपल को मौत से चुकाना पड़ा और उनके परिवार को जिंदगीभर यह दु:ख रहेगा कि पुलिस जो जनता की सुरक्षा के लिए है.., वो सुरक्षा नहीं दे पाई लेकिन कोर्ट अगर चाहे तो आरोपी को 4 से 5 दिन में सजा सुना सकती है क्योंकि मामले में सारे सबूत सामने है। आपका कुछ नहीं बिगड़ा, क्योंकि आप एक पुलिस हो, लापरवाही करते हो तो इस थाने से उस थाने भेज दिया जाता है..., नौकरी तो चलती रहती है, बस शर्म नहीं आती..., क्योंकि बेशर्मी की जिंदगी हो चुकी है आपकी, क्योंकि आप पुलिस हो! भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं, पकड़ा जाते हो.., निलंबन कर दिया जाता है, कुछ नहीं बिगड़ता आपका, क्योंकि आप पुलिस हो। खुद की नहीं तो वर्दी की इज्जत ही रख लो और लोगों को न्याय दिलवाने में मदद करो, क्योंकि उन्हें आपसे ही आस रहती है और आप है कि दलाली करने में लगे हो, गुंडों का साथ देते हो..., प्रॉपर्टी के मामले सुलझाने में लगे हो। छोटा पुलिसकर्मी के साथ-साथ थाना प्रभारी तक लॉ एंड ऑर्डर का मजाक उड़ा रहा है, क्योंकि आप पुलिस है, कुछ भी कर सकते हो! परामर्श केंद्र आपने खोल रखा है ताकि पारिवारिक मामलों को सुलझाया जाए.., नौकरी करने के आप तनख्वाह ले रहो हो, लेकिन दु:खी लोग आपसे न्याय मांगने आते हैं तो पैसा मांगते हो...। लड़की वाला पहुंचे तो कहते हो लड़के वाले को चमकाना हो तो सेवा करना होगी..., लड़के वाले से भी ऐसा ही कहते हो..., दोनों से पैसा लेते हो..., मामले सुलझाने के बजाए बिगाड़ते चले जाते है..., बात तलाक तक पहुंच जाती है..., आपका कुछ नहीं बिगड़ता, क्योंकि आप पुलिस हो! कोई फरियादी इंदौर के किसी भी थाने में पहुंच जाए, दावा है कि बिना कुछ दिए वह रिपोर्ट दर्ज ही नहीं करा सकता...। समाज में कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने एवं अपराध नियंत्रण में पुलिस की सबसे बड़ी भूमिका होती है। पुलिस केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने और लोगों को सुरक्षा देने का काम ही नहीं करती, बल्कि संकट के समय समाज के लिए मददगार भी बन जाती है, ऐसा पुलिस को ही समझना होगा..., यदि ये बातें सार्वजनिक मंचों से नेता या कोई बुद्धिजीवी बोल रहा हो तो वह पुलिस को प्रोत्साहित करने के लिए कहते हैं..., लेकिन असल जिंदगी में पुलिस विलेन का ही रोल निभा रही है...., क्योंकि आप पुलिस हो...!

Post a Comment

Previous Post Next Post