उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में नए मेहमान आने की खुशी देखी गई थी, लेकिन यह खुशी अभी तक पूरी तरह से तब्दील नहीं हो पाई है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के अधिकारियों की कान्हा नेशनल पार्क से लाये जाने वाले बारहसिंघों की शिफ्टिंग को लेकर कई तरह की बातें सामने आने से कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। अभी तक किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा है कि मामला आखिर है क्या। हालांकि सबसे पहले शुक्रवार की सुबह उद्यान के अधिकारियों ने यह जानकारी दी थी कि कान्हा से आठ बारहसिंघा बांधवगढ़ लाये जा रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों
की माने तो शुक्रवार की सुबह कान्हा से बारहसिंघों को कैप्चर करने के बाद दोपहर 12
बजे वहां से बांधवगढ़ की टीम की वापसी तय हुई थी, जिसके यहां शाम पांच बजे तक पहुंचने
की संभावना थी। शाम सात बजे तक टीम का कुछ पता नहीं था। इस बीच यह भी खबर उड़ी कि रास्ते
में बारहसिंघों की मौत हो गई। जिसके कारण अधिकारी रास्ते से ही वापस लौट गये हैं। जिसके
बाद अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर किसी ने भी फोन नहीं उठाया।
25 बारहसिंघों को लाने की योजना
सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने पहले चरण में कान्हा से 25 बारहसिंघों को लाने की योजना तय की थी, लेकिन बांधवगढ़ की टीम महज आठ बारहसिंघो को लेकर रवाना हो गई। इसी बीच पीसीसीएफ जेएस चौहान कान्हा टाइगर रिजर्व पहुंच गए। जब उन्हें पता चला कि कान्हा से 25 की बजाय आठ बारहसिंगा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ले जाये गये हैं, तो उन्होंने काफी नाराजगी जताई। साथ ही बांधवगढ़ की टीम को वापस कान्हा आने के लिए कहा। पीसीसीएफ के निर्देश पर बांधवगढ़ के अधिकारियों को निवास से वापस कान्हा लौटना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार बारहसिंघा
प्रोजेक्ट बांधवगढ़ के अधिकारियों के लिये कमाई का जरिया बन गया है। लोगों का तो यहां
तक कहना है कि इसमें करोड़ों रुपये वारे-न्यारे हुए हैं। बारहसिंघों को रखने के लिए
मगधी के बहेरहा में पचास हेक्टेयर जमीन पर बाड़ा तैयार किया गया है। इस निर्माण को
लेकर वन विभाग के बड़े अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे थे। साथ ही इसकी गुणवत्ता और पूर्णता
सवालों के घेरे में है। कहा जाता है कि पूर्व में बने बाड़े के एक हिस्से को नया बता
कर लाखों रुपये की बंदरबांट की गई है।
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