इंदौर। व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर और पिछड़ा वर्ग के नेता डॉ. आनंद राय सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा हो गए हैं। उन्हें झाबुआ-रतलाम के सांसद गुमानसिंह डामोर की जीप पर पथराव के आरोप में चार अन्य के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। राय का कहना है कि उन पर झूठा राजनीतिक मुकदमा दर्ज किया गया क्योंकि आदिवासी समाज में मेरे बढ़ रहे जनाधार से भाजपा घबराई हुई है। मुझ पर भाजपा में शामिल होने का दबाव भी बनाया जा रहा है। लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा। मेरा संघर्ष जारी रहेगा।
राय का आरोप
है कि जिस जगह पर सांसद और कलेक्टर के वाहनों पर पथराव हुआ, वहां मैं था ही नहीं। इसके
बाद भी गंभीर धाराएं लगाकर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। गुजरात में भी पाटीदार आंदोलन
के नेता हार्दिक पटेल के साथ सरकार ने ऐसा ही किया था। बाद में दबाव बनाकर उनसे भाजपा
की सदस्यता दिलवा दी। मैं झुकने वाला नहीं हूं। अब तक मुझ पर चार प्रकरण दर्ज हो चुके
हैं। चारों मुकदमे सरकारी कर्मचारियों ने दर्ज कराए हैं। ताकि मैं डरकर सरकार के खिलाफ
बोलना बंद कर दूं। मुझे नौ माह से स्वास्थ्य विभाग ने भी निलंबित कर रखा है।
चार साथी अब
भी जेल में
15 नवंबर को
बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित समारोह से सांसद और कलेक्टर लौट रहे थे, तब उन पर कथित
जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने पथराव किया। इसी मामले में
आनंद राय समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें सागर जेल में रखा गया था।
फिलहाल आनंद राय ही जेल से रिहा हुए हैं। चार अन्य लोग अब भी जेल में हैं। पिछले हफ्ते
सुप्रीम कोर्ट ने आनंद राय की जमानत अर्जी मंजूर की थी।
महू से चुनाव
लड़ना चाहते हैं आनंद राय
डॉ. आनंद राय सरकारी कर्मचारी
है, लेकिन विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने इंदौर
की पांच नंबर विधानसभा सीट से कांग्रेस से टिकट मांगा था। उस समय जयस नेताओं ने कांग्रेस
के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ उस समय राय को टिकट
देने को राजी थे, लेकिन बाद में उन्होंने सत्यनारायण पटेल को टिकट दे दिया। डॉ. राय
अब भी जयस में सक्रिय है। साथ ही पिछड़ा वर्ग के संगठन ओबीसी महासभा के कार्यक्रमों
में भी सक्रिय रहते हैं। डॉ. राय अब महू से विधानसभा टिकट की उम्मीद कर रहे हैं, जहां
उन्होंने महू-मानपुर के आदिवासी समुदाय के साथ बड़े आंदोलन भी किए थे। जयस से कांग्रेस
आकर विधायक बने डॉ. हीरालाल अलावा और आनंद राय पहले साथ थे। अब दोनों की पटरी नहीं
बैठ रही है। खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
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