जव जिहाद..., हिंदू लड़कियों को सिर्फ बर्बाद करने के उद्देश्य से किए जाने वाला कृत्य है, इसे इंसानियत के दुश्मन के नजरिये से भी देखा जा सकता है, क्योंकि किसी भी धर्म में यह नहीं कहा है कि किसी स्त्री का अपमान किया जाए, उसका धर्म परिवर्तन किया जाए..., या उसे प्रताड़ित किया जाए...। हिंदू युवाओं के इक्का-दुक्का मामले सामने आते हैं, जिनमें वह किसी मुस्लिम युवती से विधिवत शादी करते हैं... और जीवनभर उसका साथ निभाते हैं.., उस मुस्लिम युवती को किसी प्रकार की यातना नहीं दी जाती, जबकि मुस्लिम युवक लव जिहाद के षड्यंत्र का शिकार होकर हिंदू युवती को प्रेम जाल में फंसाते हैं और उनका मकसद सेक्स और बच्चे पैदा कर उन्हें अपने चाचा, पिता, मौसा, दोस्त या तमाम वो रिश्तेदार जिन्हें हिंदू लड़की का शोषण ही करना है, उसे सौंप दी जाती है। वहीं, कई युवतियां, जिनका पता ही नहीं चलता है कि वह कहां गई..., इस सोच के साथ यदि शांति का पैगाम देने की बात कहकर हिंदू युवती या महिला का शोषण किया जा रहा है तो इसे इंसानियत नहीं कहेंगे। लव जिहाद करना किसी धर्म या मजहब में नहीं लिखा है और ना ही किसी किताब में यह बात लिखी है, लेकिन सोची-समझी साजिश के साथ हिंदुओं की बेटियों को अपमानित करना और उनसे बच्चे पैदा कर मुस्लिमों की संख्या बढ़ाना ही उद्देश्य नजर आता है। वहीं, हिंदू लड़कियों को भी सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इसकी शुरुआत की जड़ मोबाइल है, क्योंकि..., सोशल मीडिया से ही इस लव जिहाद की शुरुआत हो रही है। मुस्लिम युवक अपनी पहचान छुपाकर दोस्ती करता है, फिर प्यार और अवैध संबंध बनाकर उसके वीडियो फोटो शेयर करने की धमकी देता है और मजबूरी में लड़की उसके साथ भाग जाती है...। मां-बाप की भी जिम्मेदारी है कि वह लड़की के मोबाइल को चेक करे और उसे समझाए कि ये प्यार-मोहब्बत और दोस्ती करना गलत है। जिन लड़कों से दोस्ती है, उनके माता-पिता और उनके परिवार से मिले, ताकि आपको पता चले कि उनकी लड़की की दोस्ती सही है। इस दौरान पता चलता है कि युवक मुस्लिम परिवार का है तो तुरंत उससे व्यवहार बंद कर दें। वर्तमान में यह भी देखने में आ रहा है कि माता-पिता लड़कियों और लड़कों को शहरों में पढ़ने के लिए भेज देते हैं, उसके बाद उन पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं कि वे क्या कर रहे हैं। कई बच्चे नशे के शिकार हो रहे हैं। जब आपको अपनी संतानों की चिंता नहीं है तो उन्हें पैदा ही क्यों किया। शहरों में दोस्ती के बाद शारीरिक संबंध बनाना, लिव में रहने जैसी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है..। चाहे हिंदू हो या मुस्लिम..., दोस्ती तक हर बात ठीक है, लेकिन जब ये दोस्ती किसी गलत दिशा में प्रवेश करती है तो समाज और उस परिवार के लिए घातक ही है...।
जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक
Post a Comment