रतलाम। रतलाम शहर से निकलने वाला काला पानी कुरेल नदी में जाकर मिल रहा है। इससे न सिर्फ नदी, बल्कि उस पर बने डेम का पानी प्रभावित हो रहा है। चूंकि यह नदी चंबल की सहायक नदी मलेनी से मिलती है, इस कारण चंबल का पानी भी प्रदूषित हो रहा। इस काले पानी के कारण 150 गांवों के हजारों लोग परेशान हैं। इन गांवों के खेत बंजर होने लगे हैं और पीने के पानी की किल्लत शुरू हो गई है।
सीएम शिवराज
सिंह चौहान आपके राज में भले ही प्रदेश में नदियों के संरक्षण को लेकर तमाम दावे किए
जा रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। रतलाम से निकलने वाला काला पानी नाले के माध्यम
से पहले कुरेल फिर कुरेल डेम और मलेनी के साथ ही चंबल नदी तक को प्रदूषित कर रहा है।
ये काला पानी नाले के माध्यम से 13 किमी दूर जिले की सीमा से बहने वाली कुरेल नदी में
मिलता है। इससे नदी का पानी काला हो गया है। वहीं, जहां यह पानी मिलता है उससे दो किमी
दूरी पर कुरेल डेम बना हुआ है।
खेत हो रहे बंजर...
डेम का पानी सिंचाई के लिए उपयोग करने से खेत बंजर हो रहे। इसके बाद कुरेल का पानी मलेनी नदी और चंबल में मिल जाता है। इससे तीनों नदियों का पानी गंदा हो रहा। जड़वासा कला, कलोरीकलां, सिमलावदा, जडवासाखुर्द आदि गांव के हैंडपंप से भी काला पानी निकल रहा। नलजल योजना बनाई लेकिन आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई है। किसान नेता जगदीश पाटीदार ने बताया इस पानी से सिंचाई के बाद सब्जियां खराब होने से लागत तक नहीं निकलती है।
टीडीएस की मात्रा
1220 मिली...
पीएचई टीम ने
जड़वासा खुर्द के हैंडपंप से पानी का सैंपल लिया। सैंपल की जांच में पानी पीने योग्य
निकला है। उन्होंने बताया कि इसमें टीडीएस की मात्रा 1220 मिली है। 500 से 2000 टीडीएस
वाला पानी पीने योग्य रहता है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) के अनुसार
2000 टीडीएस वाला पानी पी सकते हैं।
ढिकवा से निकलती
है कुरेल...
कुरेल नदी ढिकवा गांव से निकलती
है। चोराना, नोगावा, सुरा णा होते हुए हतनारा, रिंगनिया, मलवासा, कलोरी, सिमलावदा खुर्द
से होते हुए उज्जैन जिले के ऊंहाचेड़ा कुरेल डेम, रुनखेड़ा, धमोत्तर रिंगनिया हनुमान
जी होते हुए मलेनी में मिलती है। मलेनी नदी गोठड़ा बड़ावदा होती हुई चंबल नदी में मिलती
है।
Post a Comment