कम से कम देश की खातिर ही अच्छा बोल देते
बात हम कर रहे हैं खरगोन उपद्रव की..., हर तरफ से सिर्फ एक ही बात सामने आ रही है कि प्रदेश सरकार खरगोन में उन्माद फैलाने वालों के जो घर तोड़ रही है, वो गलत है? इसमें गलत क्या है। कानून का पालन कराना भी जरूरी है। दंगा करने के दौरान कोई किसी के घर को नुकसान पहुंचाएगा तो संबंधित से राशि वसूली जाएगी और वसूल करना भी चाहिए, क्योंकि दंगाई सामने दिखाई दे रहे हैं, कि ये मुस्लिम वर्ग के हैं और जानकर देश में ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं कि जिससे अराजकता का माहौल पैदा हो। उसके बावजूद दंगाइयों का पक्ष लिया जा रहा है। ये शांति का संदेश देने का ढींढोरा पीटने वाले, प्रदेश को आग के हवाले करने को तैयार है और पुलिस और जिला प्रशासन कुछ भी नहीं करे...। प्रशासन अपना काम जिम्मेदारी से कर रहा है और पारदर्शिता बरती जा रही है, लेकिन नेताओं को देश से ज्यादा प्यार सस्ती राजनीति करने से है...।
पूर्व मुख्यमंत्री दििग्वजयसिंह को हिंदू परिवारों का दर्द शायद दिखाई नहीं दे रहा है कि किस तरह खरगोन में हंसते-खेलते परिवारों को मुस्लिमों ने रौंद दिया। खरगोन के परिवारों का दर्द समझा है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने। नरोत्तम मिश्रा की दो टूक सच्चाई वाली बातें शायद विपक्षियों को हजम नहीं हो रही है। एक पत्रकार ने जब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि वो लोग (मुस्लिम) दंगे के लिए पहले से तैयार है। हथियार रख रहे हैं, घरों की छतों पर लोहे की गुलेल बना ली है, ईंट-पत्थर जमा करके रख रहे हैं, अर्थात पहले से ही तैयारी कर रखी है, और हिंदू परिवार अपने बचाव और आत्मसंरक्षण भी नहीं करे...।
जवाबदेही इस खबर को प्रकाशित कर जनता के सामने सच्चाई लाना चाहता है कि खरगोन के हालात देखकर हर आंख रो देगी। जो लोग बरसों से इस उम्मीद से यहां रह रहे हैं कि कभी तो हालात सुधरेंगे, लेकिन चार-चार दंगे झेल चुके परिवारों के पास लुटने के अलावा कुछ बचा ही नहीं है। महिलाएं अपनी आबरू बचाने में लगी रहती है।
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