जगजीतसिंह भाटिया

प्रधान संपादक

लसूड़िया थाना क्षेत्र में बैंक ऑफ न्यूयॉर्क की असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (महिला) ने फांसी लगा ली। महिला और उसके पार्टनर (लिव इन में) रहते थे, जिनमें विवाद हुआ था, जिससे गुस्सा होकर महिला ने सुसाइड कर लिया। आरोपी बॉय फ्रेंड को आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा में गिरफ्तार किया है। वर्तमान में युवाओं के पास धैर्य नहीं रहा।  रिश्तों की तस्वीर आज के भागते समय के अनुरुप ढलती जा रही है। वैसे महिला और पुरुष का साथ प्राकृतिक रूप से तय है, लेकिन (लिव इन) आधुनिकता और ग्लैमर के चलते इस पवित्र रिश्ते का मजाक बनाकर रख दिया है। शादी से पहले किसी स्त्री या पुरुष से संबंध रखना व्यक्तिगत  रूप से अपना फैसला होता है, लेकिन समाज के अनुसार शादी से पहले किसी के साथ संबंध रखना गलत माना जाता है। लेकिन आधुनिकता और ग्लैमर की तरफ भागते युवाओं को समाज की फिक्र नहीं है। 

युवाओं को मौज मस्ती समेत अपनी जिंदगी अपने मूल्यों पर जीने का अंदाज लगती है। बिना शादी किए स्त्री-पुरुष का पति-पत्नी की तरह रहने का चलन समाज में बढ़ता जा रहा है। शादी नहीं करने के पीछे यह तर्क दिए जाते हैं कि इससे अपनी आजादी खतरे में पड़ जाती है। दरअसल, लिव इन को अपनाने वाले युवा जिंदगी के कर्मों से दूर भागते हैं, वह जिंदगी का सामना नहीं करना चाहते। अपनी आजादी के लिए वह समाज की आजादी को भी छीनने को तैयार रहते हैं। अपनी सहमति से लिव इन में रहने के बाद भी युवाओं को इस रिश्ते से कई उम्मीदें बंध जाती हैं। जब खुद वह इस कुएं में कूदते हैं तो उसकी गहराई उन्हें मालूम होती है लेकिन फिर भी डूबने की स्थिति में वह सहायता की आस रखते हैं। अक्सर देखा जा रहा है कि लिव में रहने वाले युवा मनमर्जी का जीवन जीते हैं, उन्हें परिवार और संस्कारों की कोई चिंता नहीं रहती। आज लड़की और लड़के दोनों नशे के आदी बन चुके हैं। पारिवारिक मर्यादाएं नहीं रहने की वजह से युवक और युवतियां खुलेआम नशा कर रहे हैं, सिगरेट पी रहे हैं। जब तक इनका एक दूसरे के प्रति आकर्षण (शारीरिक) रहता है, तब तक इन्हें कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जहां इनके बीच (दोनों) में आकर्षण जैसी बात खत्म हो जाती है, तब यह गलत कदम उठाते हैं।

 लड़का मारपीट करने लगता है और लड़की को पहले जैसा घूमने-फिरने को नहीं मिलता जैसी छोटी-मोटी बातें विवादों कारण बनने लगता है और अंत या तो दोनों आत्महत्या कर लेते हैं, या फिर दोनों में से कोई एक ऐसा घातक कदम उठा लेता है। मां-बाप भी बच्चों को शहरों में पढ़ाई के लिए भेजते हैं तो निश्चिंत हो जाते हैं कि उनके बच्चे शहर में रहकर पढ़ाई ही कर रहे हैं, लेकिन यह बच्चे पढ़ाई की आड़ में मौज-मस्ती कर रहे हैं, ये उन्हें पता भी चलता हैं तो आंख पर पट्‌टी बांध लेते हैं या फिर मौन साध लेते हैं। मां-बाप भी सोच लेते हैं कि आजकल के बच्चे पढ़े-लिखे हैं, अपना भला-बुरा खुद सोच लेंगे, लेकिन परिणाम ऐसे रिश्तों के घातक ही सामने आ रहे हैं...।

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