इंदौर शहर पर सबकी निगाह है, क्योंकि शहर में कई विकास कार्य हो रहे हैं। साथ ही लोगों का शहरप्रेम होना और लगातार सफाई में अपनी धाक जमाना भी इसी बात को पुख्ता करता है कि लोग सफाई के प्रति अब जागरूक हो रहे हैं और अब एक नई पीढ़ी भी इसी सोच के साथ आगे बढ़ रही है। ये तो हुई सफाई को लेकर बात दूसरी प्रमुख बात यह कि अब शहर नई करवट ले रहा है और विकास गाथाएं लिखी जा रही है। इसी कड़ी में अब इंदौर में 200 करोड़ रुपए की लागत से 2024 तक पांच फ्लाईओवर बनेंगे, क्योंकि बायपास के जो चौराहे हैं, वहां जाम की परेशानी बनी हुई है, जिसका हल निकालने के लिए बायपास पर उक्त फ्लाईओवर बनाए जाएंगे। 

इस क्षेत्र में भविष्य में अपार संभावनाएं हैं और नया इंदौर इस तरफ बसता चला जा रहा है। वाहनों की संख्या और बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से इन फ्लाईओवर को बनाने से पहले जिम्मेदारों को इस बात का जरूर ध्यान रखना होगा कि जो भी बोगदे वह बनाए उसका डिजाइन इस प्रकार हो कि दोनों तरफ से आने-जाने वाले वाहन चालकों को दिक्कत न आए। क्योंकि वर्तमान में बायपास पर जितने भी बोगदे हैं, वहां दिक्कत ही है।  बोगदों के लिए झलारिया और एमआर-10 जंक्शन को जोड़ा जाएगा और झलारिया वाले फ्लाईओवर में 30-30 फीट के चार बोगदे रहें, जबकि एमआर-10 जंक्शन के फ्लाईओवर में 6 बोगदे होंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि अगले 50 सालों में कोई समस्या नहीं आएगी, इसे देखते हुए काम किया जा रहा है। 

सवाल इसलिए किया जा रहा है कि हमारे शहर में जब भी कोई सड़क, ब्रिज या पुल बने हैं तो उसमें बनने के बाद विसंगती जरूर सामने आई है और बाद में न जाने कितनी इंजीनियरिंग की गई लेकिन समस्या का हल नहीं निकला।  उदाहरण के लिए बंगाली चौराहे को देखा जा सकता है कि कितने विवाद होते रहे और आज यह हालत है कि यहां से वाहन चालकों के निकलने में पसीने छूट जाते हैं। इसी तरह बाणगंगा ओवरब्रिज जब बना था था तो वह इतना संकरा हो गया था कि बाद में फिर दूसरी भूजा बनानी पड़ी। वहीं  वहां एक और समस्या है कि रेलवे क्रॉसिंग पर प्रतिदिन शाम को हालात बिगड़ते हैं। बाणगंगा थाने की पुलिस को रोज शाम को दो से तीन घंटे तक मौके पर रहना पड़ता है, तब जाकर हालात काबू में आते हैं, वरना यहां एक बार जाम लगा तो एक-दो घंटे तक स्थिति सामान्य नहीं होती। वहीं इस मार्ग पर ओवरब्रिज की आवश्यकता है, लेकिन बाणगंगा ब्रिज की डिजाइन ही गड़बड़ है, क्योंकि अगर रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनता है तो इस ओवरब्रिज की भूजा कहां जोड़ेंगे? गत दिनों अफसरों ने इस क्षेत्र का दौरा किया है और एमआर4 से आने वाले वाहन सीधे आईएसबीटी एमआर-10 पर पहुंचेंगे। इस रोड को लेकर तो मंथन किया गया, लेकिन इस क्रॉसिंग पर जो जाम लगता है, उससे निजात मिल जाए, इस योजना पर कभी काम नहीं किया गया। ... बड़ी बात यह कि यह समस्या आज की नहीं है, बल्कि बरसों पुरानी है...। बाणगंगा ओवरब्रिज की डिजाइन में की गई गलती का खामियाजा जनता ही भुगत रही है। इसलिए जब बायपास पर पांच फ्लाईओवर ब्रिज की डिजाइन बनाई जाए तो बायपास और उसके आसपास रहने वाले लोगों से भी राय ली जाए, ताकि भविष्य में कोई गलती ना हो।

बाणगंगा ब्रिज का ट्रैफिक इस तरह से संभाला जाता है

(शाम 6.30 से रात 8 बजे तक के हालात पर नजर)


1.  खातीपुरागांव से रेलवे क्रॉसिंग तक जाने वाले वाहनों और एमआर-4 से आने वाले वाहनों को एक जवान रेलवे क्रॉसिंग के पहले रोकता है। 

2.  रेलवे क्राॉसिंग की दूसरी तरफ दो से चार जवान ब्रिज के मुहाने तक खड़े रहते हैं। 

3.  बीच सड़क पर अस्थायी बैरिकेड्स लगा दिए हैं, ताकि वाहन चालक गलत दिशा में वाहन नहीं निकाल सके।

4.  पुल के कोने पर चार से पांच जवान खड़े रहते हैं और उज्जैन तरफ से आने वाले ट्रैफिक को कंट्रोल करते हैं।

5.   पुलिस की यह पहल काफी मेहनत वाली है। ट्रैफिक के हालात तो काबू में आ जाते हैं, लेकिन ट्रेनों के आने-जाने का शाम का समय काफी व्यस्तभरा है, इस वजह से वाहनों की रेलमपेल बनी रहती है।

6.   ट्रैफिक सुगमता से चलता है, इसका विकल्प या तो अंडर पास है या फिर ओवरब्रिज, जिसकी डिजाइन को लेकर काफी मशक्कत करना होगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post