जबलपुर में शहरी सीमा से डेयरियों को अब तक बाहर शिफ्ट न किए जाने के मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती से लिया है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य शिवकुमार सिंह व एक्सपर्ट मेंबर अरुण कुमार वर्मा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन-प्रशासन को एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को निर्धारित की गई है।
एनजीटी में डॉ. पीजी नाज पांडे की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उन्होनें वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि जबलपुर नगर निगम क्षेत्र में छोटी-बड़ी 450 डेयरियां स्थापित हैं। इन डेयरियों से निकालने वाली गंदगी मच्छरों के लिए ब्रीडिंग सेंटर बनी हुई है, जिससे शहर में मलेरिया, डेंगू, ज्वाइंडिस, वायरल फीवर जैसी बिमारियां पनप रही हैं, अत: डेयरियों को बाहर शिफ्ट किया जाए।
हाईकोर्ट ने इस मामले में 2017 में इसे एनजीटी में विचारार्थ भेजा था, जिस पर एनजीटी ने 6 जुलाई 2020 को विस्तृत आदेश जारी करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिये थे, लेकिन इसके बावजूद भी शासन तथा नगर निगम जबलपुर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके चलते एनजीटी में अवमानना याचिका दायर की गई।
मामले की सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा गया, जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभात यादव ने एनजीटी को बताया कि हाईकोर्ट में यह मामला 19 वर्ष तथा एनजीटी में 4 वर्ष चला, इसके बावजूद भी शासन समय मांग रहा है। मामले पर एनजीटी ने शासन को 2 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं।
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