जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

जिस समाज और धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीराम ने वनवास सहा, श्रीकृष्ण ने अनेक कष्ट उठाये, महाराणा प्रताप जंगल-जंगल फिरे, शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना के लिए सर्वस्व अर्पण कर दिया, गुरु गोविंद के बच्चे जीते जी किले की दीवारों में चुने गए। इनके अलावा स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, तिलक, गोखले, गांधी जैसे महान विचारकों ने औपनिवेशिक युग में देश को नेतृत्व प्रदान किया... इनके साथ-साथ न जाने कितने ही ऐसे युग पुरुषों ने हमारे देश में जन्म लिया है, जिन्हें समय-समय पर याद किया जाता है। कुछ लोग इनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तो कुछ लोग इन्हें भुला चुके हैं।

हमारा देश परंपराओं और संस्कृति से भरा पड़ा है और कई पर्व हैं जो धूमधाम से मनाए जाते हैं। उसके बावजूद हमारे देश में विदेशी संस्कृति को मनाने का कीड़ा युवाओं को काटता है, अर्थात 14 फरवरी को मनाए जाने वाला वेलेंनटाइन-डे, कोई प्रपोज-डे भी इसे कहता है। इसे लेकर न जाने कितने युवा उतावले रहते हैं ।  इस दिन को मनाने की भी अपनी एक कहानी है। कहते हैं कि तीसरी शताब्दी में रोम के एक क्रूर सम्राट ने प्रेम करने वालों पर जुल्म ढाए तो पादरी वेलेंटाइन ने सम्राट के आदेशों की अवहेलना कर प्रेम का संदेश दिया, लिहाजा उन्हें जेल में डाल दिया गया और 14 फरवरी 270 को फांसी पर लटका दिया गया। प्रेम के लिए बलिदान देने वाले इस संत की याद में हर वर्ष 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाने का चलन शुरू हुआ।

युवा इस घटना को भी समझे

14 फरवरी का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के साथ दर्ज है।  आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना। राज्य के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 39 जवान शहीद हो गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए। यह दिन इतिहास में एक और वजह से भी दर्ज है। 

 वेलेंटाइन के बाद की मुश्किलें...

पिछले वर्ष का डाटा : 43 लाख लड़कियों में बांझपन और 30 लाख में  कैंसर पाया गया...  वेलेंटाइन के बाद मुश्किल से 10 दिन के अंदर गायनेकोलोजिस्टो के पास लड़कियों की भीड़ लग जाती है...  टीवी पर विज्ञापन आता है सिर्फ एक कैप्सूल से 72 घंटों के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा...बिना दिमाग की लड़किया , ऐसी गोलियां जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट…बस निगल जाती हैं… इन फेक गोलियों में आर्सेनिक भरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूण को खत्म नहीं करता बल्कि पूरा का पूरा fertility_system ही करप्ट कर देता है।

शुरू में तो गोलियां खाकर गलती छुपा लेती हैं, लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये अब मां नहीं बन सकती…। इससे पता चल जाता है कि इनका भूतकाल कैसा रहा होगा। सरकार हर साल मातृत्व_सुरक्षा, जननी सुरक्षा, बेटी बचाओ जैसी योजनाओ के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक देती है। 

आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चियां बैग में गर्भनिरोधक गोलियां लेकर घूम रही हैं, ये मरेंगी नहीं तो क्या होगा…। और ऐसी जहरीली चीजे  वेलेंटाइन पर मेडिकल माफिया भारतीय बाजारों में जानबुझकर उतारता है..., क्योंकि  सबको पता है, भारत में बुद्धिजीवी वर्ग का कोई मान नहीं होता ...। पहले ये लड़कियों को जहर खिलाकर बीमारी देते हैं...फिर उसकी दवाई बेचकर अरबों रुपए कमाते हैं। वेलेंटाइन डे का विरोध करे, क्योंकि ये हमारे देश की सभ्यता नहीं है और ना ही कोई पर्व। हमारे देश के युवाओं ने इसे खुद पर थोप लिया है।

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