भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऑनलाइन सट्टेबाजी का खेल तेजी से पैर पसार रहा है। सोशल मीडिया के जरिये इस खेल के आगोश में युवा फंस रहे हैं। सट्टा चलाने वालों को पुलिस पकड़ती है, लेकिन कमजोर कानून के चलते उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते और वे छूट जाते हैं

 सट्टेबाजी के विज्ञापन सोशल मीडिया के जरिये युवाओं तक पहुंचते हैं। दांव लगाने के लिए लिंक सट्टेबाज सीधे अपने क्लाइंट्स के पास भेजते हैं, लेकिन पुलिस की नजर में आने से बचने के लिए हर तीन-चार दिन में अपनी लोकेशन बदल लेते हैं। पहले जो मामले पकड़ में आए हैं, उनसे पता चला है कि सट्टेबाज देश या विदेश में कहीं भी बैठकर मास्टर आईडी के जरिये इसे संचालित करते हैं।

 8-10 लाख में तैयार होता है एप

ऑनलाइन सट्टेबाजी के इस खेल के बारे में जानकारी देते हुए एएसपी अंकित जयसवाल ने बताया कि दांव लगाने के लिए कुछ खास वेबसाइट या एप हैं, जो 8-10 लाख रुपये की लागत से तैयार हो जाते हैं। मुंबई, नोएडा और इंदौर के सॉफ्यवेयर डेवलपर कई बार तीन-चार लाख रुपये के खर्च में भी इन्हें तैयार कर लेते हैं।

 पिरामिड की तरह होता है ढांचा

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सट्टेबाजी का तंत्र एक पिरामिड की तरह काम करता है। इसके सरगना वेबसाइट या एप बनाते हैं और मास्टर आईडी भी संचालित करते हैं। मास्टर आईडी पर हर तरह का दांव लगाया जा सकता है। सरगना देश के अलग-अलग हिस्सों में सट्टेबाजों को सब-मास्टर आईडी देते हैं। इसके बदले में सरगना उनसे कमीशन लेते हैं। सब-मास्टर आईडी के जरिये ही सोशल मीडिया पर वेबसाइट और एप का प्रचार किया जाता है। जो लोग दांव लगाना चाहते हैं, उनके पास लिंक भी वही भेजते हैं।

 बच निकलते हैं सरगना

सट्टा खेलने वालों के पास जो लिंक पहुंचती है, उस पर दांव लगाने की एक सीमा होती है। सीमा इससे तय होती है कि वह कितना पैसा लगाना लगाना चाहता है। ग्राहक हारे या जीते, सट्टेबाज को हर हाल में कमीशन मिलता है। इसीलिए वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। यदि कभी सट्टेबाजी गिरोह का खुलासा होता है तो स्थानीय सट्टेबाज ही पकड़े जाते हैं जबकि सरगना सुरक्षित बच निकलते हैं।

 कमजोर कानून का उठाते हैं फायदा

अप्रैल, 2019 में भोपाल पुलिस ने 4-5 ऑनलाइन वेबसाइट्स का खुलासा किया था। इनके संचालक दुबई में बैठकर सट्टा लगवा रहे थे। उन्हें सुपर मास्टर नाम दिया गया था। सुपर मास्टर भोपाल स्थित सट्टेबाजों को मास्टर बनाकर उन्हें आईडी दी थी जिसके जरिये वे आईपीएल के मैचों पर दांव लगवा रहे थे। पैसा लगाने वाले क्लाइंट इस कड़ी का आखिरी पड़ाव थे जबकि सट्टे की कीमत भी दुबई में बैठे सुपर मास्टर तय कर रहे थे।पुलिसकर्मियों का कहना है कि पकड़े गए सट्टेबाजों को अक्सर थाने से ही जमानत मिल जाती है। लचर कानून होने के चलते उनकी गिरफ्तारी भी नहीं होती।


Post a Comment

Previous Post Next Post