भोपाल । आर्थिक तंगी से जूझ रही राज्य सरकार अब खनिज से अपना खजाना भरने की कोशिश कर रही है। इसलिए अगले दो महीनों में प्रदेश में 60 से ज्यादा खदानों के लिए निविदाएं जारी की जाएंगी। इनमें 14 रेत खदानें भी शामिल हैं। जिनकी निविदाएं अगले महीने जारी हो सकती हैं। दरअसल, इनमें आलीराजपुर की खदान भी शामिल है और वहां विधानसभा उपचुनाव है। इसलिए नीलामी में देरी हो रही है। खदानों की नीलामी जिला स्तर पर कलेक्टर की देखरेख में होगी, पर निविदा राज्य स्तर से एकजाई निकाली जाएगी।
मध्य प्रदेश में 14 रेत खदान, 11 मुख्य खनिज और 400 से अधिक गौण खनिज खदानों की नीलामी होना है। इनमें से रेत खदानें जल्द नीलाम करने की कोशिश है, क्योंकि बारिश का दौर खत्म हो चुका है। नदी-नालों में पानी कम हो गया है और रेत खदानें चालू हो गई हैं। इतना ही नहीं, निर्माण कार्य भी शुरू हो गए हैं, जिनमें दीपावली बाद तेजी आएगी। ऐसे में खदानों की नीलामी में देरी की तो रेत की चोरी बढ़ जाएगी। इससे सरकार को नुकसान होगा।
इसलिए खनिज संसाधन विभाग नीलामी की पूरी तैयारी कर चुका है। बस, इंतजार है, तो उपचुनाव के लिए मतदान होने का। मतदान के तुरंत बाद निविदा जारी कर दी जाएगी। मार्च 2022 तक नीलाम होंगी सौ खदानें विभाग ने मार्च 2022 तक सौ खदानें नीलाम करने का लक्ष्य रखा है। इनमें से 60 खदानें दिसंबर 2021 तक नीलाम होंगी, जबकि शेष 40 खदानों की जनवरी से मार्च 2022 के बीच नीलाम करने के लिए जरूरी तैयारी शुरू हो गई है।
ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ऐनवक्त पर कोई दिक्कत न हो। तहसील स्तर का होगा क्लस्टर ठेकेदारों को इतनी महंगी खदानें न लेना पड़े कि रायल्टी की राशि ही न चुका पाएं। इसलिए सरकार ने तहसील स्तर पर खदानों का समूह तैयार करने का निर्णय लिया है। इस बार इसी आधार पर नीलामी होगी।
इन जिलों की खदानें होंगी नीलाम
ठेकेदार समय पर रायल्टी की किस्त जमा नहीं कर पाए, इसलिए खनिज निगम ने आठ रेत खदानें निरस्त कर दी हैं। जबकि चार ठेकेदारों ने खुद ही खदानें छोड़ दी हैं। इनमें रायसेन, आलीराजपुर, मंदसौर, रीवा, शिवपुरी, रतलाम, भिंड, पन्ना, शाजापुर, छतरपुर और धार की खदानें शामिल हैं। वहीं उज्जैन और आगर-मालवा जिले की रेत खदानें तीन प्रयास में नीलाम नहीं हो पाईं। इसलिए नीलामी का चौथा प्रयास किया जा रहा है।
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