असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर मंदाकिनी दीक्षित मांग रही थी प्रति माह हर दुकान से 1.50 लाख रुपए
जवाबदेही
आबकारी अधिकारियों पर हमेशा आरोप लगते आ रहे हैं कि ये लोग शराब कारोबारियों से खुलेआम रिश्वत मांगते है और रिश्वत नहीं देने पर उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में शराब ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है और इस नुकसान की भरपाई वो कर नहीं पाते और आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसके बावजूद आबकारी अधिकारियों की भूख नहीं खत्म होती।
गौरतलब है कि बीते दिनों शराब ठेकेदार दिनेश मकवाना ने आत्महत्या कर ली थी और इसके पीछे का कारण एसिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर मंदाकिनी दीक्षित द्वारा रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। दिनेश मकवाना की 5 दुकानें शराब की है और अधिकारी हर दुकान से 1.50 लाख रुपए प्रतिमाह मांग रही थी?
सवाल उठता है कि मध्यप्रदेश में जब रिश्वत के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बातें कही जाती है तो फिर ऐसे अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? क्यों नहीं ऐसे अफसरों को जेल में भेज दिया जाता और इनकी संपत्ति राजसात क्यों नहीं की जाती?
दरअसल, दिवंगत दिनेश मकवाना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो बकायदा कह रहे हैं कि उन्हें किस तरह से असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर मंदाकिनी दीक्षित रुपयों के लिए परेशान कर रही थी। इसी मामले में दिवंगत दिनेश मकवाना की मां संतोष मकवाना ने थाना प्रभारी को दिए ज्ञापन दिया है, जिसमें असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर मंदाकिनी दीक्षित पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि दिनेश मकवाना लाइसेंसी शराब ठेकेदार थे और पिछले कई दिनों से आरोपी अधिकारी द्वारा प्रति दुकान 1.50 लाख रुपए प्रतिमाह की अवैध वसूली की मांग की जा रही थी। प्रत्येक क्वार्टर पर 10 रुपए अतिरिक्त कमीशन देने का दबाव भी बनाया जाता था। आरोप है कि मांग पूरी न होने पर झूठे केस में फंसाने की धमकी दी जाती थी और लाइसेंस संबंधी परमिट भी रोक दिए जाते थे।
पीड़ित पर लगातार मानसिक दबाव बना रहा, और सुसाइड से पहले दिनेश मकवाना ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उक्त सारी बातें स्पष्ट रूप से कही है। परिवार ने पेनड्राइव सहित सभी सबूत सौंपकर आरोपी अधिकारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
जिले का हर आबकारी अधिकारी बन बैठा करोड़पति?
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सहित देशभर में आबकारी अधिकारी खुलेआम रिश्वत मांगकर शराब कारोबारियों को परेशान कर रहे हैं। मध्यप्रदेश की बात करें तो जिले का हर आबकारी अधिकारी करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक बन चुका है। ईडी और लोकायुक्त की टीमें यदि इनके घरों पर दबिश दें तो इनके घरों में करोड़ों की नकदी और ज्वेलरी और प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेज जब्त होंगे।

Post a Comment