जम्मू-कश्मीर के पल गांव, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी यह गुस्सा सड़कों पर साफ-साफ देखा गया, जब आम लोगों से लेकर राजनेताओं और सामाजिक संगठनों तक ने आतंकवाद के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
इस दर्दनाक आतंकी घटना में निर्दोष नागरिकों की मौत और देश की सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवालों ने राजधानी भोपाल को भी झकझोर दिया। लोगों ने आतंकवाद, पाकिस्तान और केंद्र की सुरक्षा नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया।
बुधवारा में कांग्रेस का प्रदर्शन, आतंकवाद का पुतला फूंका
भोपाल के बुधवारा इलाके में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के नेतृत्व में आतंकवाद का पुतला दहन किया गया। इस प्रदर्शन में स्थानीय मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने "भारत माता की जय" और "आतंकवाद मुर्दाबाद" के नारे लगाते हुए केंद्र सरकार पर सुरक्षा में चूक के आरोप लगाए।
विधायक आरिफ मसूद ने इस मौके पर कहा: "अब 56 इंच का सीना दिखाने का समय आ गया है। देश की जनता बार-बार आतंकवाद की आग में झुलस रही है और केंद्र सरकार हर बार कड़ी निंदा तक सीमित रह जाती है। अगर सरकार आतंकवाद पर काबू नहीं पा सकती तो राहुल गांधी को जिम्मेदारी सौंपी जाए, क्योंकि अब देश सिर्फ भाषण नहीं, कठोर कार्रवाई चाहता है।"
मसूद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कश्मीर में पर्यटकों पर हमला सामान्य स्थिति के दावों को खोखला साबित करता है। उन्होंने राहुल गांधी का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगी और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसारन घाटी में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और कई अन्य घायल हुए। आतंकवादी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। हमलावरों ने पर्यटकों की पहचान पूछी और उनके धर्म के आधार पर गोलीबारी की। इस हमले को 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है।
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