इंदौर के परदेशीपुरा स्थित शासकीय मानसिक दिव्यांग बालगृह से एक बालक भाग गया, हालांकि कर्मचारियों ने उसे गृह से तीन सौ मीटर दूर एक मंदिर से पकड़ लिया। इस बाल गृह में रखे जाने वाले बच्चों से बेवहज काम कराने की जानकारी भी सामने आई है।
इस कारण बच्चे परेशान हो जाते है। काम के दबाव के कारण परिजन कुछ दिनों के लिए बच्चों को अपने साथ ले जाते है। इस गृह में युगपुरुष आश्रम से शिफ्ट कराए गए कुछ बच्चे भी है। युगपुरुष आश्रम में तीन माह पहले बीमारी के कारण 11 बच्चों की मौत हो गई थी। उसके बाद प्रशासन ने आश्रम की मान्यता निरस्त कर दी।
इस शासकीय गृह में कुल 40 बच्चे है। इनमें 32 लड़के और आठ लड़कियां है। यहां आठ कर्मचारियों का स्टाॅफ है। दो चौकीदार है, जबकि खाना बनाने, सफाई के लिए महिला कर्मचारी है, लेकिन यहां ज्यादातर काम बच्चों से कराया जाता है।
नाबालिग बच्चे यहां झाडू-पोछा करते है। इसके अलावा रोटी बेलने, सब्जी काटने जैसा काम भी उन्हें कराया जाता है। इस गृह में बच्चों के लिए गर्म पानी के लिए गीजर नहीं है। परिसर में लगे चुल्हे पर बच्चे पानी गर्म करते है। कपड़े भी वे खुद धोते है।
बच्चे के गृह से भागने से जुड़े सवाल पर गृह प्रभारी नीता कुचेरिया ने कहा कि गृह से बालक भागा नहीं था। वह तो मंदिर गया था। उसे स्टाॅफ वापस ले आया। बच्चों से काम कराने की बात को उन्होंने निराधार बताया।
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