पत्नी और न्यायिक प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले बेंगलूर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी के आरोपियों को जमानत दिए जाने के खिलाफ इंदौर में विरोध प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में महिलाओं ने भी भाग लिया। पुरुष अधिकारों के लिए पिछले 15 वर्षों से सक्रिय संस्था 'पौरुष' ने एमआईजी कॉलोनी स्थित जनरल वैद्य गार्डन के बाहर झंडे और बैनर्स के साथ नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए, जिनमें "नारी तुम लजाओ मत, झूठे केस लगाओ मत," "तीन करोड़ मांगने वाली तीन कौड़ी की औरत," और "पीड़ित पुरुषों की पुकार कब सुनेगी भाजपा सरकार" जैसे वाक्य शामिल थे।
संस्था के अध्यक्ष अशोक दशोरा ने कहा कि ऐसे गंभीर मामले में जमानत का अधिकार केवल हाई कोर्ट को होता है। जिला कोर्ट द्वारा जमानत देना अनुचित है, क्योंकि पत्नी निकिता सिंघानिया, मां निशा और भाई अनुराग को मात्र 14 दिनों में जमानत दे दी गई। यह कानून की प्रक्रिया और संविधान के खिलाफ है। अतुल मोदी का मृत्यु पूर्व कथन मौजूद होने के बावजूद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जो कि न्यायिक व्यवस्था की बड़ी खामी है।
प्रदर्शन में समाजसेवी नीलम चावला भी शामिल थीं। उन्होंने कहा कि वह सत्य की लड़ाई में 'पौरुष' के साथ हैं। यह संस्था समान कानून की मांग कर रही है, और उन्हें इसका पूरा समर्थन है। अतुल मोदी ने अपनी मृत्यु से पहले 59 मिनट का वीडियो बनाया और 24 पेजों में अपनी मानसिक प्रताड़ना का जिक्र किया। यह दर्शाता है कि उन्होंने कितनी गंभीर यातना झेली। अगर पुरुषों के लिए समानता का कानून जल्द नहीं बनाया गया, तो आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाएं हत्या में बदल सकती हैं। इस पर महिलाओं को भी विचार करना होगा कि समाज में झूठे मामलों का दुरुपयोग कितना घातक हो सकता है।
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