जिले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह भगवान भरोसे हैं। आज जिले की बैराड़ तहसील क्षेत्र सीमा में गांव की एक प्रसूता को गांव में समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंचने पर ट्रैक्टर से अस्पताल ले जाया जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में ही प्रसव पीड़ा के चलते बीच जंगल में डिलीवरी करवानी पड़ी। पटवारी ने मामले की सूचना तुरंत 100 नंबर पर सूचना दी, इसके बाद पुलिस की मदद से जच्चा-बच्चा को जिले के बैराड़ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दोनों सुरक्षित हैं।

जानकारी के अनुसार कदवाई गांव की रहने वाली दीपा धाकड़ पत्नी संतोष धाकड़ को प्रसव पीड़ा के बाद परिजनों द्वारा बैराड़ लाते समय अचानक इतनी तेज पीड़ा हुई कि रास्ते में ट्रैक्टर रोककर जंगल की बीच सड़क पर ही डिलीवरी करवानी पड़ी। इसकी सूचना बैराड़ तहसील क्षेत्र के ककरई गांव में पदस्थ पटवारी दीपक खत्री ने बैराड़ तहसीलदार दृगपाल सिंह वैश्य और डायल 100 को दी, जिसके बाद थाना प्रभारी विकास यादव ने तत्काल डायल 100 को भेजा, जिसकी मदद से प्रसूता को बैराड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।

गौरतलब है कि जिले के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बहुत बुरा हाल है। इसके पहले भी जिले के खोड़, रन्नौद और बदरवास में सड़क पर प्रसव के मामले आ चुके हैं, जिसमें एम्बुलेंस सेवा 108 व स्वास्थ्यकर्मी की लापरवाही सामने आने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इन लापरवाहियों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

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