प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्ता संभाल रहे हैं। हालांकि अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक आध को छोड़कर अपने पुराने मंत्रिमंडल और नौकरशाही के टॉप पदों पर निरंतरता को चुना। कहा जाता है कि पीएम मोदी बदलाव के दृष्टिकोण में विश्वास नहीं करते हैं, दूसरी तरफ विपक्ष ने सोचा कि एनडीए सरकार गठबंधन की राजनीति के दबाव में है और इसलिए बड़े फैसले लेने से डर रही है। लेकिन अब जल्द यह सोच बदलने वाली है।

संसद में युवा भाजपा सांसद के तेवर और कैबिनेट के फैसले संकेत दे रहे हैं कि अगस्त का महीना शासन में निर्णायक बदलावों के लिए एक अहम होने जा रहा है। बीएसएफ डीजी नितिन अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से उनके मूल कैडर में भेज दिया है। जो संकेत देता है कि मोदी सरकार इस महीने नौकरशाही में बड़े बदलाव करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

बड़े पदों पर नया बदलाव

अगस्त का महीना कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और गृह सचिव अजय भल्ला के रायसीना हिल पर पांच साल पूरे होने का भी महीना है और इस बात के प्रबल संकेत हैं कि इन पदों पर नए लोगों को शामिल किया जाएगा। मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रभारी शीर्ष अधिकारियों के प्रदर्शन से भी नाखुश है और गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के परामर्श से इन्हें अचानक से बदल सकती है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर कड़ा शिकंजा

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को फिर से पटरी पर लाने के लिए भी कड़े कदम उठाए जाएंगे, ताकि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को बढ़त ना मिल सके और स्थिति 5 अगस्त, 2019 (अनुच्छेद 370) से पहले वाली ना हो जाए। इस संदर्भ में खुफिया और सुरक्षा नेटवर्क के साथ-साथ उनके बीच तालमेल को पुनर्जीवित और लागू किया जाएगा।

विपक्ष को कड़ी टक्कर

यह अच्छी तरह से जानते हुए कि इंडी गठबंधन की राजनीति महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करना और जातिगत दरारों का फायदा उठाकर हिंदू बहुसंख्यक वोटों को विभाजित करने की है, जिसे देखते हुए मोदी सरकार ने केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी विपक्ष को कड़ी टक्कर देने का फैसला किया है। इस हफ्ते राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के खिलाफ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की आक्रामकता आने वाले समय में होने वाली घटनाओं का संकेत है।

चूंकि महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों में भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए खुफिया जानकारी से पता चलता है कि मुस्लिम धर्मगुरु इस महत्वपूर्ण राज्य में हिंदू वोटों को विभाजित करने के लिए भविष्य के सीएम उम्मीदवार के रूप में उद्धव ठाकरे का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। वहीं भाजपा की समस्याओं में राज्य इकाइयों के भीतर सत्ता की खींचतान भी शामिल है।

भले ही विपक्ष ने लगातार पीएम पर हमला करके उनकी चमक को खत्म करने की कोशिश की हो, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर संतुष्टि खत्म हो गई है, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार और पार्टी मामलों की कमान मजबूती से संभाल रहे हैं।

इस सप्ताह विधानसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की दहाड़ से यह भी पता चलता है कि पीएम मोदी पार्टी और कैबिनेट के भीतर अपने सभी कथित राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को सख्त संदेश देते हुए राज्य के नेता का पूरा समर्थन कर रहे हैं। नौकरशाही को लगता है कि 2024 के चुनाव नतीजों के बाद पीएम मोदी का जादू खत्म हो सकता है, लेकिन तीसरी बार पीएम बनने के बाद वे एक भी कदम पीछे नहीं हट रहे हैं और पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। जैसा कि उन्होंने 2002-2014 में गुजरात में दिखाया था।

परिवर्तनकारी बदलाव की तैयारी

पीएम मोदी विपक्ष के आक्रमण का सामना करने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास न्यूटन के गति के तीसरे नियम (प्रत्येक क्रिया के लिए बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है) पर है, ना कि पहले नियम पर। 15 अगस्त, 2024 को ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से उनके भाषण में योग्यता को प्राथमिकता देते हुए परिवर्तनकारी बदलाव की बात कही जा रही है।

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