खरगोन | शहर के अधिष्ठाता श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर के गर्भगृह में मंदिर समिति द्वारा भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. लगभग 500 वर्ष पुराने इस मंदिर में दूसरी बार यह अवसर है, जब भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. 12 से 15 वर्ष पहले भी गर्भगृह का नवीनीकरण होने पर रोक लगी थी. फिर एक बार गर्भगृह के बाहर से ही भक्तों को अधिष्ठाता के दर्शन करना होगा.
दरअसल, गर्भगृह में दर्शन की रोक नवरात्रि के भी पहले से लगाई गई है, जो अभी तक जारी है. हालांकि, मंदिर समिति का कहना है कि जल्द ही पुनः भक्त बाबा के दर्शन गर्भगृह में जाकर कर सकेंगे. बता दें कि मंदिर के गर्भगृह को जंगली चूहों ने भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसके बाद से ही मंदिर समिति द्वारा यहां निर्माण कार्य करवाया जा रहा है. यहीं वजह है की गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर है. जब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं होता, तब तक बाहर से ही दर्शन करने होंगे.
जुड़ी है लाखों भक्तों की आस्था
मंदिर समिति के अध्यक्ष मनोज भावसार बताते हैं कि खरगोन के भावसार मोहल्ला स्थित श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर में विराजित बाबा सिद्धनाथ से लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. रोजाना यहां सैकड़ों भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. बाबा उन सभी की मनोकामना पूरी करते हैं. लेकिन, अभी नवरात्रि के पहले मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के जाने पर रोक लगाई है, क्योंकि जंगली चूहों (घुस) ने मंदिर के गर्भगृह को पूरा खोखला कर दिया है.
अपनाई जा रही खास तकनीक
भक्तों की आस्था को देखते हुए पुनः गर्भगृह का निर्माण किया जा रहा है. इस बार विशेष तकनीक का उपयोग कर निर्माण कर रहे हैं, ताकि भविष्य में फिर इस प्रकार की घटना न हो सके. इस तकनीक के जरिए 200 वर्षों से भी ज्यादा समय तक गर्भगृह मजबूत रहेगा. मनोज भावसार बताते हैं कि गर्भगृह की खुदाई की गई है. समतलीकरण के बाद लोहे की जाल, उसके ऊपर प्लास्टिक और फिर कांच लगाए जाएंगे और फिर ऊपर से ढाई फिट कंक्रीट डाला जाएगा. ताकि दोबारा चूहे जमीन खोखली न कर पाएं.
मोरबी से आया खास पत्थर
वहीं, कंक्रीट होने के बाद सबसे ऊपर खास पत्थर लगाया जाएगा, जो गर्भगृह को मजबूती के साथ सुंदरता भी प्रदान करेगा. फ्लोरिंग के लिए गुजरात के मोरबी से 2 बाय 5 फिट का केमिकल वाला स्पेशल पत्थर लगाया जाएगा. खास बात यह कि यह पूरा काम बाबा सिद्धनाथ के शिवलिंग को हटाए बिना हो रहा है. मनोज भावसार बताते हैं कि आने वाले 5 दिनों में यह पूरा काम खत्म हो जाएगा. इसके बाद भक्त फिर से गर्भगृह में जाकर बाबा के दर्शन लाभ ले पाएंगे.
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