दमोह। इस साल होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान शासन ने ऐसे बहानेबाज अफसरों और कर्मचारियों को बाहर करने का फैसला लिया है, जो बीमारी का बहाना बनाकर चुनावी ड्यूटी में भाग नहीं लेते हैं। चुनाव ड्यूटी न लगाए जाने के संबंध में जो आवेदन निर्वाचन कार्यालय में जमा हुए हैं, उनमें लगाया गया मेडिकल सर्टिफिकेट मान्य नहीं होगा। शासन द्वारा गठित डॉक्टरों की कमेटी संबंधित कर्मचारी का हेल्थ चेकअप करेगी। उसकी रिपोर्ट ही मान्य होगी, यदि रिपोर्ट में वह अनफिट पाए जाते हैं तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।

ऐसे में मतलब साफ है कि यदि नौकरी करना है तो इस चुनाव में ड्यूटी करना होगी। नहीं तो अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव में ड्यूटी न कर पाने से जुड़े लगभग 30 आवेदन अभी तक दमोह जिले के निर्वाचन कार्यालय आ चुके हैं। खासबात यह है कि अब इन आवेदनों के आधार पर सभी का शासन द्वारा गठित स्वास्थ्य कमेटी चेकअप भी करेगी। इनमें से जो भी अनफिट मिलेगा। उनकी नौकरी खतरें में पड़ सकती है।

चुनाव में हिस्सा न लेने वाले 30 आवेदनों की स्वास्थ्य कमेटी जांच करेगी। रिपोर्ट के आधार जो भी अनफिट पाए जाएंगे। उनकी सेवानिवृत्ति तय मानी जा रही है। कलेक्टर द्वारा शासन को इन्हें सेवानृवित्त करने के लिए पत्र लिखा जाएगा। बताया जाता है कि जल्द ही इन आवेदनों के आधार पर संबंधितो की जांच कराई जाएगी।

इन्हें किया जाएगा बाहर

मेडिकल बोर्ड से जांच कराए जाने के बाद कार्य करने में अक्षम अधिकारी- कर्मचारी में से उन्हें हटाया जाएगा, जिनकी आयु 50 साल से अधिक है। या फिर 20 साल तक सेवा पूर्व कर चुके हैं। ऐसे शासकीय सेवकों के अभिलेखो की छानबीन कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के प्रस्ताव को शासन की ओर भेजा जाएगा।

सूत्रों की माने तो चुनाव ड्यूटी न कर पाने से संबंधित जितने आवेदन आए हैं। उनमें से ज्यादातर बीमारी का कारण हार्ट की समस्या बताया है। वहीं, कुछ ने मां के बीमार होने की समस्या बताई है। हालांकि, चुनाव ड्यूटी से नाम हटवाने के लिए राजनीतिक हथकंडे भी अपनाए जाते हैं। अब देखना होगा जांच के बाद इन कर्मचारियों पर क्या करवाई होती है।

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