इंदौर। शहर के बीच में मिलों की सैकड़ों एकड़ जमीन वर्षों से बेकार पड़ी थी। न मिल फिर शुरू हो सकते थे और न मिलों की जमीन का दूसरा उपयोग हो पा रहा था। प्रशासन ने मालवा मिल और कल्याण मिल की लीज निरस्त कर जमीन नाम दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उधर इस मामले में एनटीसी हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।

इंदौर शहर का मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। इन मिलों की जमीन का लैंडयूज औद्योगिक से आवासीय या वाणिजि्यक कर सरकार मिलों की जमीन पर नया शहर बसा सकती है। लैंडयूज औद्योगिक होने के कारण उसकेे बिकने में भी परेशानी आ रही थी। अभी हुकमचंद और स्वदेशी मिल की जमीन के कुछ हिस्से का लैंडयूज बदला है। एक साथ सभी मिलों का लैंडयूज बदल जाएगा तो यहां भी बसाहट हो जाएगी। हुकमचंद मिल के मजदूरों को हाऊसिंग बोर्ड ने 174 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा है। यदि मजदूर राजी हो जाते है तो हाऊसिंग बोर्ड नया प्रोजेक्ट मिल की जमीन पर ला सकता है।

केंद्र सरकार के अधीन है जमीन, कलेक्टर नहीं कर सकते लीज निरस्त

प्रशासन द्वारा लीज निरस्त करने के मामले में एनटीसी हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। एनटीसी से जुड़े कानूनी मामलों को देख रहे विनोद जैन का कहना है िकि एनटीसी केेंद्र सरकार के अधीन है। मंत्री परिषद ने मिलों की जमीन बेचने की अनुमति दी थी। कलेक्टर को लीज निरस्त करने का अधिकार ही नहीं है। एक सप्ताह के भीतर कलेक्टर के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई जाएगी।

300 परिवार बसे है

मालवा मिल की जमीन पर 300 से ज्यादा परिवार वर्षों से बसे हुए है। कुछ मकानों की रजिस्ट्री भी है। रहवासी भी जल्दी अफसरों से मिलेंगे। रहवासी कैलाश कुशवाह ने बताया कि वर्षों से बसे परिवार को प्रशासन नहीं हटा सकता है। हमें जमीन का पट्टा दिया जाना चाहिए।

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