इंदौर। आईटी और स्टार्टअप हब के रूप में मध्य भारत में अपनी पहचान बना चुकी मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर अब तेजी से खिलौना निमार्ण के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही है। कोरोना काल के बाद इंदौर के खिलौना सेक्टर ने तेजी से ग्रोथ की है। इंदौर में इस समय 200 से अधिक खिलौना निमार्ण इकाइयां काम कर रही हैं। जहां पर रोजाना 65 से 70 लाख खिलौनों का उत्पादन हो रहा है। कोरोना के पहले यह उत्पादन 6 से 7 लाख प्रतिदिन था।
इंदौर में इस
समय लगभग 200 से ज्यादा टॉय बनाने की कंपनियां है। जो प्रमोशनल, प्लास्टिक, कैंडी और
लेदर टॉय बना रही हैं। मप्र टॉय मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के सचिव सचिन गुरेजा ने बताया
कि कोरोना काल के बाद इंदौर के टॉय सेक्टर ने दुगुनी रफ्तार से ग्रोथ की है। कोरोना
के पहले इंदौर में रोजाना 6 से 7 लाख खिलौना का निर्माण हो रहा था। लेकिन अब इंदौर
की इकाइयां रोजाना 65 से 70 लाख खिलौने का उत्पादन रोजाना कर रही है।
इंदौर में इस
समय 200 से अधिक खिलौना निमार्ण इकाइयां काम कर रही है। जिसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष
रूप से 35 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। वहीं इंदौर की खिलौना उत्पादन
में 300 करोड़ रुपए की अनुमानित प्रोडक्शन वैल्यू है। गुरेजा ने आगे बताया कि पहले देश
में 70 प्रतिशत टॉय चीन से तैयार होकर आते थे। लेकिन अब यह टॉय भारत में ही तैयार हो
रहे हैं। इंदौर इस समय कैंडी टॉय का हब है। इंदौर में सबसे ज्यादा प्रमोशनल और कैंडी
टॉय बन रहे हैं, जो इंदौर से मुबंई, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद सहित अन्य कुछ शहरों
में जाते हैं। इन शहरों के साथ ही इंदौर में बने खिलौने 20 देशों में भी एक्सपोर्ट
किए जा रहे हैं।
इन तीन कारणों से तेजी से खिलौना निर्माण में आगे बढ़ रहा इंदौर
इंदौर में खिलौना निमार्ण से जुड़े लोगों का कहना है कि इंदौर तीन कारणों से खिलौना निर्माण में आगे बढ़ रहा है। पहला कारण यह है कि केंद्र सरकार ने जब चाइना से इम्पोर्ट पर कई तरह के प्रतिबंध लगाना शुरू किए तो इंदौर के कन्फेक्शनरी उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने चाइना से टेक्नोलॉजी लाकर खुद ही टॉय प्रोडक्शन शुरू कर दिया। दूसरा कारण यह है कि इंदौर में कच्चा माल और मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी सभी सुविधा आसानी से उपलब्ध है। तीसरा कारण इंडस्ट्री को लेकर ईकोसिस्टम और सरकार की फ्रेंडली अप्रोच इंदौर के खिलौना निर्माण उद्योग को आगे बढ़ने में मदद कर रही है।
खिलौना निमार्ण
इकाइयों को आगे बढ़ने में मदद कर रही मप्र सरकार
गुरेजा ने बताया कि मप्र सरकार
ने टॉय इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए प्रति फैक्ट्री 200 वर्कर तक का प्रतिमाह 5
हजार रुपए तक का स्टायपेंड देने का निर्णय लिया है। वहीं प्रदेश में अगर कोई नई खिलौना
फैक्ट्री लगाता है तो उसे 60 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। महिलाओं के लिए यह सब्सिडी 68 फीसदी
है। सरकार और एमपीईबी खिलौना निर्माण इकाइयों को बिजली बिल पर 2 रुपए प्रति यूनिट सब्सिडी
दे रही है।
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