उमरिया। उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पनपथा बफर जोन में जनवरी के पहले हफ्ते में हुई जंगली हाथी की मौत के मामले में नई जानकारी सामने आई है। हाथी की मौत और शव को जलाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एक कर्मचारी का हाथ होने की बात सामने आई है। जबलपुर से दो टीमें जांच के लिए 18 मई को बांधवगढ़ आई थी। उसने कई लोगों के बयान दर्ज किए। डब्लूसीसी वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल की टीम और स्पेशल टास्क फोर्स के सदस्य शामिल थे। उन्होंने संदिग्ध आरोपित और कर्मचारी का भी बयान दर्ज किया है।

पनपथा बफर जोन के आरएफ 236 घौरीघाट में जंगली हाथी की मौत हो गई थी। कर्मचारी ने इसकी जानकारी विभाग के अधिकारियों को नहीं दी। हाथी के शव को जला दिया था। हाथी के शव को जलाने में कर्मचारी ने गांव के कुछ लोगों की मदद भी ली थी। गौरी घाट के जंगल में ही लकड़ियां एकत्र कर घटना को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद गांव के ही किसी व्यक्ति ने इस मामले की जानकारी फैला दी जिससे मामला खुलने लगा। हाथी की मौत की बात सामने आने के बाद जांच शुरू हुई लेकिन पांच महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है। बांधवगढ़ के डिप्टी डायरेक्टर लवित भारती ने कहा कि डब्ल्यूसीसी की टीम ने कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं। फिलहाल जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है इसलिए कुछ कहना ठीक नहीं होगा। रिपोर्ट आने के बाद सारी जानकारी दी जाएगी।

नहीं कर रहे पुष्टि

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने अभी इस बात की पुष्टि नहीं की है कि जांच मे क्या निकलकर सामने आया है। अधिकारियों का कहना है कि डब्ल्यूसीसी के अधिकारी जांच कर रहे हैं लेकिन अभी तक उन्होंने जांच की रिपोर्ट नहीं सौंपी है। गुरूवार को दोनों ही टीम के लगभग एक दर्जन अधिकारी बांधवगढ़ पहुंचे और उन्होंने अधिकारियों से घटना के संदर्भ मे विस्तार से जानकारी हासिल की थी। इसके पश्चात दोनों ही टीम के अधिकारी घटनास्थल का मुआयना करने भी पहुंचे। यह जानकारी सामने आ रही है कि जंगली हाथी की मौत के मामले मे कोई अहम सुराग डब्लूसीसी और एसटीएफ के हाथ लगा है। भले ही कोई अधिकारी इस मामले मे अभी जानकारी देने से बच रहे हैं लेकिन इस बात की चर्चा अब आम हो गई है कि हाथी के शव को जलाने मे बांधवगढ़ के ही एक कर्मचारी की अहम भूमिका रही है।

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