राजनीति कितनी गंदगी और ओछी हो गई है...ये राजनेता खुद बयां कर रहे हैं। सिर्फ कुर्सी और सत्ता के गलियारों में सुर्खियां बटोरने के लिए अब ये राजनेता भगवान पर भी संदेह करने लगे हैं.., महापुरुषों और संतों की लिखी वाणी पर सवाल उठा रहे हैं। नेता सुबह-शाम उठते-बैठते आराध्य देवों का स्मरण करते हैं और उन पर ही संदेह कर रहे हैं, तो फिर ऐसा दुस्साहस क्यों किया जा रहा है... शायद हमारे देश में मिली बोलने की आजादी ही यह वजह है?
गत दिनों बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामायण पर विवादित टिप्पणी कर दी और रामायण को प्रतिबंधित तक करने की मांग की..., तुलसीदासजी की रचित चौपाई पर भी सवाल उठा रहे हैं...? हम ग्रंथों और संतों की वाणी का सम्मान करते हैं, इसलिए उस बात का जिक्र नहीं कर रहे हैं, ताकि पढ़ते समय जनमानस का मन उद्वेलित ना हो..., लेकिन बोलने वाले नेताओं को शर्म नहीं आ रही है कि वो क्या बके जा रहे हैं। लोगों में आक्रोश है कि क्या ऐसे नेताओं को हमने चुनकर भेजा है, जो हमारे ही भगवान और ग्रंथों पर सवाल उठा रहे हैं।
सरकार को भी सख्त कानून बना देना चाहिए कि रामायण, रामचरित मानस सहित तमाम वो ग्रंथ जिसके प्रति हर समाज की आस्था जुड़ी हुई है, उसे लेकर कोई नहीं बोलेगा... और यदि बोला तो सीधे कठोर कारावास। नेताओं को जनता इसलिए चुनती है कि वह उनकी समस्या को सुलझाए और देशहित में काम करें, लेकिन नेताओं को जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं रहा, उन्हें तो सिर्फ अपनी राजनीति चमकाना है, कुर्सी बचाना है...। देश और धर्म की चिंता इनमें कतई नहीं है। वहीं, टीवी चैनलों में भी जनता की समस्याओं से जुड़े कोई मुद्दे दिखाई नहीं देते...दिनभर नेताओं की घटिया बयानबाजी को समाचारों में दिखाया जा रहा है।
जिस तरह से इन नेताओं ने हिंदू धर्म के खिलाफ बोला है, यदि किसी अन्य धर्म के खिलाफ बोल देते तो अब तक सिर तन से जुदा करने की धमकी मिलती और ये नेता थानों के चक्कर लगा रहे होते... और प्रोटेक्शन मांगते नजर आते...। हिंदू समाज अहिंसावादी और धैर्यशील है, जिसका फायदा ऐसे नेता उठा रहे हैं और यही कारण है कि जो मन में आया बोलते रहते हैं। अगर नेता नहीं सुधरे तो वह दिन दूर नहीं कि जनता का आक्रोश फूटेगा और धर्म के खिलाफ बोलने वाले नेताओं को सड़क पर घसीट-घसीट कर मारा जाएगा...।
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