जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

देश-दुनिया की रिपोर्टें प्रकाशित होती रहती है कि जो बच्चे होनहार होते हैं, उन्हें घर से ही अच्छे संस्कार मिलते हैं। रिपोर्टों के आधार पर ही यदि कोई सीख ले और अपनी जवाबदेही समझ ले तो उनके बच्चे संस्कारवान ही होंगे। सबसे पहले बच्चे को घर से ही अच्छे संस्कारों की शुरुआत करना चाहिए, इसमें सबसे बड़ी भूमिका मां की होती है, जो बच्चों को सही मार्गदर्शन दे सकती है और देती भी हैं। कोई नहीं चाहेगा कि उसका बेटा या बेटी गलत आदतों का शिकार हो। इसमें महिला और पुरुष दोनों की भागीदारी बराबर की होनी चाहिए, लेकिन खास रोल मां अदा करती है, अपने बच्चे के जीवन को सफल बनाने के लिए। लेकिन जब कुछ महिलाएं विलेन के रूप में नजर आती है तो समझा जा सकता है कि उसकी जन्मीं संतानें कैसी होगी? या वह पुरुष जो खुद अवगुणी है और अपने बच्चों में गुण ढूंढता है तो खुद के साथ धोखा कर रहा होता है। इंदौर में सड़क हादसे हो रहे हैं, जिनमें लगभग महिलाएं और युवतियां नशे में वाहन चला रही हैं। देर रात तक पार्टियां कर रही हैं। कुछ लड़कियां चेन स्नेचिंग कर रही हैं, लूट कर रही है और दिनभर नशा कर मटरग्श्ती कर रही हैं। इनके जन्में बच्चों से क्या उम्मीदें की जा सकती हैं इन्हें या इनके परिवार को! वहीं, सभ्य कहलाने वाले समाज के लोग ही पब में परिवार सहित एंजॉय कर रहे हैं। बेटा, बहू, पत्नी-बेटी सब मिलकर आपस में पार्टियां कर रहे हैं तो क्या ये लोग सभ्य समाज की कल्पना कर सकते हैं। 

    अकेले इंदौर की ही बात नहीं की जा रही है, अब ऐसे माहौल पूरे देश से सामने आ रहे हैं। हमारे जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के लोग समय-समय पर होने वाले कार्यक्रमों में कहते हैं कि महिलाओं और युवतियों को पुरुषों के साथ कांधे से कांधा मिलाकर चलना चाहिए, तो इसके मायने शायद गलत निकलने लगे हैं। पुरुष तो नशे की चपेट में जा रहा है, वहीं, महिलाएं और युवतियां भी उसके साथ कांधे से कांधा मिलाकर चलने लग गई है। समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए सार्वजनिक मंचों, कथा के पंडालों, टीवी और बिजली के बिलों सहित तमाम वो प्रचार-प्रसार के सरकारी माध्यम हैं, वहां जागरूकता का संदेश देना जरूरी हो गया है कि यदि आप अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहते हो तो बुरी आदतों को छोड़ों, शायद यह संदेश लोगों के दिलों में घर कर जाए...।

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