जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

आप कह चुके हो कि महापौर कोई भी बने, विजयी जनता ही होगी...। जनता को भी विश्वास है कि आप शहर के लिए कुछ करोगे...। प्रथम नागरिक की जवाबदेही भी बनती है कि शहर के लोग परेशान न हो और ऐसा भी नहीं है कि आप शहर की प्रमुख समस्याओं को नहीं जानते होंगे। शहर में जो समस्याएं विकराल होती जा रही है, उसके लिए सरकारी विभाग ही जिम्मेदार है। नगर निगम और ट्रैफिक विभाग में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। नगर निगम में नक्शे के विपरीत निर्माण होते जा रहे हैं और पार्किंग सड़क पर। ट्रैफिक विभाग के कर्मी दिनभर उगाही में लगे रहते हैं और इसी तरह नगर निगम की पीली गैंग भी। बड़ा सवाल है कि इन पर अंकुश कौन लगाएगा? कारणों पर चर्चा करते हैं..। नगर निगम की पीली गाड़ी में जो बाउंसर चलते हैं, वो शहर में उगाही करने लगे हैं। लोग इनसे डरते हैं। कई बार इन बाउंसरों द्वारा शहर की जनता से मारपीट तक की गई, जबकि इन्हें स्पष्ट निर्देश है कि लोगों से ये मारपीट नहीं करेंगे? नगर निगम को अब बाउंसरों को बाहर करना चाहिए, क्योंकि बाउंसरों की वजह से नगर निगम बदनाम होता जा रहा है। लोग कहते हैं कि नगर निगम ने गुंडे पाल रखे हैं। पार्किंग को लेकर बिगड़ते हालातों का प्रमुख कारण सड़कों पर होता व्यापार है। शहर में व्यवस्थित हॉकर्स जोन की दरकार है, इसके अलावा शहर के भीतरी और बाहरी क्षेत्रों में अब अंडरपास की दिशा में काम किया जाना अति आवश्यक है। नए और युवा इंजीनियरों से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधार की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।  शहर के चौराहों पर लगे सोलर सिस्टम बारिश में साथ नहीं देते..., और लगभग बंद रहते हैं। इससे  सिग्नल बंद रहते हैं और वाहन चालक बेपरवाह हो जाते है, जिससे ट्रैफिक बिगड़ जाता है। इस दिशा में विचार करने की आवश्यकता है।

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