‘उड़’ रहा इंदौर, बिक रहा ‘पाउडर’

जिस तरह सरकार का नारा है कि सबका साथ, सबका विकास...., ठीक इसी तरह पुलिस का भी अपना खुद का नारा है, पुलिस का सााथ नशे से ‘विकास...’! बात सही और कड़वी है, क्योंकि पुलिस की सांठगांठ से ही शहर में नशा (पाउडर) धड़ल्ले से बिक रहा है। पुड़िया का खेल कोई आज का नहीं है। स्कूल, कॉलेज, होस्टल और रेव पार्टियों में धड़ल्ले से इसे बेचा जा रहा है।

पब पर हो सख्ती चोरी-छुपे चल रही रेव पार्टियां

जवाबदेही @ इंदौर

सामाजिक सरोकार के तहत नशे के खिलाफ जवाबदेही लगातार सात सालों से प्रमुखता से खबरें प्रकाशित करता आ रहा है। जिला प्रशासन अभियान के दौरान रैली, नुक्कड़ सहित तमाम व आयोजन करेगा, जिससे कि युवा जागरूक हो और ऐसे अभियान निरंतर चलने ही चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी नशे के जंजाल में न पढ़े। वहीं, जिला प्रशासन की यह भी महती जिम्मेदारी है कि वह पुलिस विभाग के कुछ कथितों को समझाइश दे कि नशा बेचने वालों का साथ न दे, क्योंकि जब तक इन्हें पुलिस का संरक्षण मिलता रहेगा, तब तक चाहे लाख प्रशासन कोशिश करें नशे के खिलाफ चलने वाला अभियान सफल नहीं हो पाएगा। 

पुलिस को सब पता है

शहर की पुलिस को सब पता है कि नशा कहां बिकता है, कौन बेचते है। क्योंकि कई अपराधी पुड़िया बेचते समय पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं..., नशा बेचने वाले पैडलरों तक पुलिस के हाथ पहुंच चुके हैं। बड़े पैडलरों पर नजर है या यह भी कहा जा सकता है कि उनसे मेलजोल होने की वजह से उनका बाल भी बांका नहीं हो रहा है और ये बड़े पैडलर खुलकर नशा शहर में खपा रहे हैं। कई बार इंदौर में दवा बाजार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई हुई और इनसे बड़े पैमाने पर नशे की गोलियां मिली..., क्या यह नशे का कारोबार बंद हो गया? गत अंक में जवाबदेही प्रमुखता से इस बात को प्रकाशित कर चुका है कि नशे की जद में सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरा हिंदुस्तान इसकी चपेट में आ गया है। बड़ी-बड़ी खेप पकड़ने वाली पुलिस पुड़िया बेचने वालों को संरक्षण देती है..। जब तक ऊपर से प्रेशर नहीं आता तब तक इन पर कार्रवाई नहीं होती।

620000 बच्चे ले रहे कोकीन-भांग

18 से 75 वर्ष की आयु के चार करोड़ लोग भी आए चपेट में

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जानकारी दी कि दस से 17 वर्ष की आयु के बीच के 20 लाख बच्चे, भांग का सेवन करते हैं। 40 लाख बच्चे, ओपिओइड का इस्तेमाल करते हैं। दो लाख बच्चे ऐसे मिले हैं, जिन्हें कोकीन की लत पड़ चुकी है

देश में नशे की आदत, न केवल बच्चों को, बल्कि दूसरे आयु वर्ग के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रही है। देश में करीब 62 लाख बच्चे यानी जिनकी आयु 10 से 17 वर्ष के बीच है, वे भांग, ओपिओइड व कोकीन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा 18 से 75 वर्ष की आयु के लगभग चार करोड़ लोग भी ऐसे ही नशे के जाल में फंसे हैं। केंद्र सरकार ने 8000 से ज्यादा युवा स्वयंसेवकों को शामिल कर एक वृहत सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत देश के 272  संवेदनशील जिलों में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ शुरू किया गया है।

दो लाख बच्चों को कोकीन की लत

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने  एम्स दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर के माध्यम से भारत में मादक पदार्थ के इस्तेमाल की सीमा और पैटर्न के संबंध में व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है। इसकी रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी। गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गत मंगलवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।

दो करोड़ 90 लाख लोग लेते हैं भांग

अगर नशे की इन्हीं श्रेणियों में 18 से 75 साल तक के लोगों की बात करें तो भांग लेने वालों की संख्या दो करोड़ 90 लाख रही है। एक करोड़ 86 लाख ओपिओइड का इस्तेमाल कर रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 94 हजार लोग कोकीन का सेवन करते हैं। भारत सरकार ने नशे की लत छुड़ाने के लिए 350 एकीकृत पुनर्वास केंद्रों का रखरखाव, जो न केवल मादक पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले लोगों का इलाज करते हैं, बल्कि प्रेरक परामर्श, बाद में देखभाल सेवाएं और उन्हें समाज की मुख्य धारा के साथ पुन: जोड़ने की सेवाएं भी प्रदान करते हैं। संवेदनशील  स्थिति वाले बच्चों व किशोरों पर ध्यान देते हुए 53 समुदाय आधारित पीयर लेड इंटरवेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं। परामर्श के लिए राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन 14446 भी उपलब्ध है।

युवाओं को नशे से बचाने को लेकर अच्छा प्रयास

नशीली दवाओं के खिलाफ चलेगा विशेष जागरुकता अभियान

जवाबदेही @ इंदौर

नशामुक्त भारत अभियान के तहत जिले में मादक पदार्थों और नशीली दवाओं के सेवन के खिलाफ जन जागरुकता का विशेष अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत घर-घर, स्कूल-कॉलेज और गांवों तक इनके दुष्प्रभावों की जानकारी दी जाएगी। युवा पीढ़ी को विशेष रूप से जागरूक किया जाएगा कि वे स्वयं तो इस नशे से दूर रहें, साथ ही अपने साथियों को भी इससे दूर रहने की समझाइश दे। 

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया है। इसमें नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के विभिन्न कार्यक्रमों को शामिल किया गया है।

इस अभियान के संबंध में मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में समीक्षा बैठक भी हुई। इसमें कलेक्टर मनीषसिंह ने कहा कि यह अभियान वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है। युवा पीढ़ी भटकाव की राह पर नहीं जाए, इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में जन जागरुकता के कार्यक्रम आयोजित किए जाए।

बैठक में जिला पंचायत सीईओ वंदना शर्मा, सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता बेक तिर्की सहित अन्य अधिकारी और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 

अभियान में रैली, नुक्कड़ नाटक का मंचन, स्थानीय विद्यालयों में नशामुक्ति विषयक प्रतियोगिताएं, प्रश्न मंच का आयोजन, ग्राम सभाओं में नशामुक्ति ग्राम बनाने संबंधी प्रस्ताव, ग्राम व नगर स्तर पर स्थानीय स्तर पर वाट्सएप ग्रुप में नशामुक्ति के संदेशों एवं लघु फिल्मों को प्रसारित करने, स्व-सहायता समूहों, शौर्यदलों द्वारा नशा मुक्ति अभियान, पोस्टर, प्रदर्शन आदि गतिविधियां होगी।   

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