इंदौर |
जब बात महिलाओं  की सुरक्षा की आती है तो हर तरफ एक मौन, चुप्पी नजर आती है। कई बार देखने में आता है कि महिलाएं और युवतियां शिकायतें करती हैं कि इनके साथ छेड़खानी की जा रही है, लेकिन पुलिस नजरअंदाज कर देती है। आखिर पीड़िता और उसके परिजन किसकी शरण में जाए। 

अपराधी बेखौफ होकर अपराध करते हैं और पकड़े जाने के पहले सेटिंग तक कर ली जाती है। पीड़ित या तो आत्महत्या कर ले, या अपराधी उसे मौत के घाट उतार दे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। जब हमारे देश में महिलाओं के सम्मान की बात की जाती है तो लगता है उनके साथ मजाक किया जा रहा है। साल में एक दिन महिला दिवस मनाकर कार्यक्रम किया जाता है, लेकिन उनका असम्मान प्रतिदिन किया जाता है।

राजस्थान के भरतपुर के हलैना क्षेत्र की घटना दिल दहलाने वाली है। इस घटना से देशभर के नेताओं, पुलिस अफसरों, पुलिसकर्मियों और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को समझना होगा कि अगर कोई पीड़त आपके पास आए तो उसकी बात सुनी जाए, उसे भरोसा दिलाया जाए कि उसके साथ न्याय होगा, लेकिन जब पीड़ित पुलिस के पास पहुंची है तो उसे हीन भावना से देखकर थाने से टरका दिया जाता है

लचर व्यवस्था बड़ा कारण

जबकि न्याय मिलने की पहली कड़ी ही पुलिस थानों से शुरू होती है। अगर पुलिस चाहे तो अपराध को खत्म कर सकती है, लेकिन लचर व्यवस्था की वजह से हालात बिगड़ते चले जाते हैं। आला अफसर लाख समझाए, लेकिन थाने पर जब पीड़ित पहुंचता है तो उसके साथ जो व्यवहार किया जाता है, वो किसी अपराधी के जैसा होता है। राजस्थान में छात्रा को 5 छात्र संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते रहे। छात्रा पुलिस को शिकायत करती है, प्राचार्य को भी बताती है, शिक्षक को भी बताती है, लेकिन उसकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया जाता है। 

बच्चों के लिए खतरनाक है मध्य प्रदेश: NCRB की रिपोर्ट

सिर्फ स्वास्थ्य नहीं बल्कि सुरक्षा के मामले में भी बच्चों के लिए मध्य प्रदेश की सरकार पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। भले ही मध्यप्रदेश में आतंकवाद जैसे गंभीर अपराध नहीं होते लेकिन देश में सबसे ज्यादा बच्चे मध्य प्रदेश में अपराध का शिकार होते हैं। हर रोज औसत 46 बच्चे हत्या, अपहरण अथवा दुष्कर्म का शिकार होते हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट 2020 से प्राप्त हुई है। चाइल्ड क्राइम के मामले में मध्य प्रदेश सबसे खराब NCRB REPORT 2020 के अनुसार 1 साल में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए, हालांकि 2019 के मुकाबले इसमें मामूली कमी आई है। प्रदेश में बच्चों के खिलाफ होने वाले क्राइम का रेट 59.1% है। वर्ष 2019 में 19,028 मामले दर्ज हुए थे। NCRB की रिपोर्ट में बच्चों के साथ सोशल मीडिया के जरिए भी अपराध हुए हैं। देशभर के अन्य राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश टॉप पर है, जबकि इस मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। यहां 2020 में 14,371 केस दर्ज हुए।

मध्य प्रदेश में हर रोज 70 महिलाएं अपराध का शिकार : मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध में भी कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 में दुष्कर्म के 2,339 केस दर्ज किए गए। मतलब, रोजाना करीब 6 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। वर्ष 2020 में 25,640 केस महिलाओं ने अलग-अलग अपराध से जुड़े दर्ज कराए। यानी हर रोज लगभग 70 महिलाएं अपराध का शिकार हुई।

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