ठहरे पानी को देख टूरिस्ट नहाने उतर जाते हैं
अंदर खाई में फंसकर गंवा देते जान
भोपाल। केवरा डैम का ‘मौत का कुंआ’ हादसों का स्पॉट बन चुका है। वर्ष 1985 से अब तक ‘मौत का कुंआ’ 200 से ज्यादा जिंदगी निगल चुका है। सुरक्षा के नाम पर सिर्फ 1 चेतावनी बोर्ड लगा है। गुरुवार को तीन स्कूली छात्रों की मौत के बाद शुक्रवार को भी प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली। लोग बेखौफ होकर इस स्पॉट पर नहाते मिले। इन्हें रोकने टोकने वाला प्रशासन का कोई मुलाजिम नहीं दिखा। बता दें कि गुरुवार को भोपाल के सात नंबर स्टॉफ के पास रहने वाले मोहित सोंधिया(17), शुभम अधिकारी (17) जैन मंदिर हबीबगंज में रहने वाले निशांत जैन की केरवा डैम में डूबने से मौत हो गई थी। तीनों ओल्ड कैंपियन स्कूल के 11वीं के छात्र थे। हम बता रहे ‘मौत का कुंआ’ में हादसों की बड़ी वजह।
पानी के अंदर पत्थरों के बीच दरार, खांईं
‘मौत का कुंआ’ के नाम से विख्यात इस स्पॉट में केरवा डैम का बैक वाटर के साथ पहाड़ के झरनों का पानी आता है। करीब आधा एकड़ इसका जलभराव है। 10 से 15 फीट गहरा है। पानी के बीच में पत्थरों की दरारें, खाईं हैं। गर्मियों में पानी थमा रहने की वजह से लोग नहाने या अठखेलियां करने उतर जाते हैं। उन्हें यह अंदाजा नहीं होता कि जिस जगह वह नहा रहे उसके थोड़ी ही आगे खांई या दरार है। इसी धोखे में लोग डूब जाते हैं। मौत के कुंआ में डूबने वाले का शव भी पानी से बाहर नहीं आता। इसकी वजह यह कि शव दरारों के बीच फंस जाता है। तैराक तक इस स्पॉट पर अपनी जान गंवा चुके हैं।
जिंदगी का नेटवर्क गायब!
‘मौत का कुंआ’ के पास अधिकतर दूरसंचार कंपनियों का मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। ऐसे में हादसा होने पर समय पर सूचना, मदद नहीं मिल पाती। फोन करने के लिए इस स्पॉट से करीब 100 मीटर दूर जाना पड़ता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है। मोबाइल नेटवर्क की समस्या सालों से हैं। इसको लेकर प्रशासन अब तक नहीं चेता।
सुरक्षा के नाम पर सिर्फ 1 चेतावनी बोर्ड
मौके पर सुरक्षा के नाम पर सिर्फ एक बोर्ड लगा रखा है। जिस पर बड़े लाल अक्षरों में ‘मौत का कुंआ’ और दो लाइन की चेतावनी लिखी हुई है। वन विभाग के कर्मचारी सुनील बचाले बताते हैं लोग मना करने के बाद भी नहीं मानते। पर्यटकों को पानी की गहराई का अंदाजा नहीं होता, वह नहाते-नहाते गहराई में चले जातें हैं।
हादसे रोकने संबंधित विभाग से पत्राचार
इधर, तीन स्टूडेंट की मौत के बाद एडिसनल सीपी सचिन अतुलकर ने कहा कि मौत के कुआं के आसपास फेसिंग के लिए संबंधित विभागों से संपर्क किया जा रहा है। स्पॉट पर हादसा रोकने तार फेसिंग कराई जाएगी। जिससे कि इस तरह के हादसे नहीं हों। इसके साथ ही संकेतक बोर्ड लगाए जाएंगे।
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