जगजीतसिंह भाटिया

प्रधान संपादक

गाय पूजनीय है..., हिंदू धर्म में गाय को भगवान का ही दर्जा दिया गया है...और क्यों न हों आदीकाल से इस परंपरा को भी निभाया जा रहा है। गाय प्रेमी जनता, नेता बहुत भावुक हो गए हैं। गाय को दुखी नहीं देख सकते...! मध्यप्रदेश में गत दिनों भोपाल और इंदौर में गोमाता की मौतें हुईं। चिंता सभी की स्वाभाविक है..., खैर कारण जो भी रहे हों... वो जांच का विषय है।

अब कुछ खबरें जो चिंता में डालती है और सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ये सही है या गलत....

ये आप खुद तय करो कि सही क्या और गलत क्या?

कुछ घटनाओं पर हम नजर डालते हैं.., बात है नागौर जिले के डाबड़ी गांव की। यहां 20 फरवरी को संत श्री मुक्ति राम गौशाला में एक विशेष आयोजन एक परिवार की तरफ से किया गया। कारण गौसेवा रहा। ये परिवार पश्चिम बंगाल के कोलकाता का रहने वाला है, जिनका गौशाला से पुराना रिश्ता है, और इस नाते उनके मन में सेवाभाव जागा और उन्होंने गौमाता की सेवा की, इस परिवार के अनुसार उन्हें अत्यंत खुशी मिली। 

गौसेवा परिवार ने ऐसी की...

हम देखते हैं कि शादी-समारोह में या पारिवारिक आयोजन में लोग कई व्यंजन रिश्तेदारों और दोस्तों को खिलाने के लिए बनवाते हैं। 56 तरह की मिठाइयां भी कार्यक्रम की शोभा रहती है। (ये हुआ मनुष्य का आहार) अब नागौर जिले कि इस गौशाला में इस परिवार ने 560 किलो का 56 भोग बनाया। गौशाला में काजू, मेवा और मिठाइयों के साथ सब्जी आदि बनवाई और गौमाता को खिलाई। बात ये हैे कि क्या ये आहार गौमाता का है?  सबसे बड़ा सवाल यहीं से शुरू होता है कि क्या गौमाता को 56 भोग खिलाना उसके स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही नहीं है?  अब इसी तरह का आयोजन रतलाम के खेतलपुर गोपाल गौशाला में 6 मार्च को देखने को मिला। यहां एक  परिवार ने धार्मिक आयोजन के चलते 300 गायों को काजू-बादाम, सब्जी, हलवा सहित तमाम पकवान परोसे और कहा कि ये गोवंश के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अभी इस साल काफी ठंड पड़ी, ऐसे मौसम में इंदौर के गौप्रेिमयों ने गौशाला पहुंचकर गायों को काजू-बादाम और किसी ने किसी ने तो मूंग का हलवा तक खिलाया। सभी को पता है कि गाय का आहार वनस्पति हैं, उसे हरा चारा, खली, भूसा खिलाया जाता है, जिससे वह स्वस्थ्य रहती हैं, लेकिन रमेश ने हलवा-पूरी खिलाई है तो सुरेश पीछे क्यों रहेगा..., एक-दूसरे की होड़, अखबारों में फोटो और खबर की छपास के चलते लोग गाय के स्वास्थ्य से ही खेल रहे हैं।  

मनुष्य का उदाहरण ले लो... डॉक्टर कहता है कि हरी चीजें (सब्जी) खाने में शामिल करो..., क्या वनस्पति खाने लग जाते हो..., अर्थात पीपल के पत्ते, घास और भी कई पेड़-पौधे हैं जो हरे हैं, जिनके पत्ते क्या हम खाते हैं...? क्योंकि ये मनुष्य का आहार नहीं है, मनुष्य का आहार अनाज, सब्जी, फल हैं।  गायों की सेवा करनी है तो जितना खर्च आप 56 पकवानों को, स्टॉल लगाने, टेंट वाले आदि पर कर रहे हैं, उतनी राशि का भूसा, हरे चारे की व्यवस्था कर दो..., इतनी राशि से 6 माह तक उन्हें आहार मिलेगा..।  जिन गायों को आपने असली घी से बने व्यंजन खिलाएं है, उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी करवा लो..., तो आपको पता चल जाएगा कि वह व्यंजन खाकर स्वस्थ है या वनस्पति खाकर...।

इंदौर के एरोड्रम क्षेत्र में ई-रिक्शा सुबह से लेकर शाम तक घर-घर पहुंच रहा है, रिक्शा में धार्मिक गीत बजते हैं...., महिलाएं और पुरुष घर से निकलकर रोटी की थप्पी उस रिक्शा में डालता है...., पूरी गाड़ी भर जाती है..., रिक्शा वाला भैया गौशाला में सारी रोटियां गायों को परोसता है..., गाय का कोठा खराब हो रहा है, गाय गोबर करने की बजाए गंदगी कर रही है...., यकीन न हो तो गौशाला में जाकर आप देख सकते हैं...., हम मानते हैं कि कहा जाता है कि एक रोटी गाय को और एक रोटी कुत्ते के लिए पहले बनाओ..., रोटी का आकार जितनी पूरी होती है, उतना होता है, लेकिन अगर थोक में गाय को  बड़ी रोटियां खिलाई जाएगी तो वह बीमार होगी? गौशाला में गायों की सेवा करनी है तो वनस्पति, हरा चारा और भूसा गायों को खिलाएं..., ताकि वह स्वस्थ रहे...। 


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