महंगी शराब के कारण जहरीली शराब कांड बढ़े, सैकड़ों लोगों की जानें गईं, कांग्रेस सरकार की थोपी नीति का खामियाजा भुगत रहा प्रदेश
16 दिसंबर को कैबिनेट बैठक में अगले साल के लिए तय होगी नीति
जवाबदेही @ इंदौर
कांग्रेस सरकार द्वारा थोपी हुई पॉलिसी से मध्यप्रदेश में शराब कारोबार पर एकाधिकार हो गया, जिसके कारण शराब काफी महंगी हो गई है, िजसकी वजह से प्रदेश में चारों तरफ से सस्ती शराब अवैध रूप से परिवहन होकर आ रही है। वहीं, महंगी शराब होने की वजह से मध्यप्रदेश में 2020 से लेकर 2021 तक सैकड़ों लोगों की अवैध शराब पीने से मौत हो चुकी है।
वहीं, महंगी शराब होने की इस वजह से मध्यप्रदेश को राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है। जो राजस्व प्रदेश को वर्ष 19-20 में मिल रहा था, आज भी लगभग वही राजस्व शासन को मिल रहा है, जबकि इसमें लगभग 3 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि होना चाहिए थी। मध्यप्रदेश से लगे राज्यों में पिछले 6 महीनों में पॉलिसियों में बड़ा बदलाव करके शराब बहुत सस्ती कर दी गई है। हरियाणा, दिल्ली में तो मध्यप्रदेश से 40 प्रतिशत कीमत कम है, जिसके कारण ट्रेनों, ट्रकों एवं हवाई जहाज में सफर करने वाला हर व्यक्ति वहां से प्रदेश में शराब ला रहा है।
16 दिसंबर को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक हैं, जिसमें अगले वर्ष के लिए नीति तय की जाएगी। उम्मीद है कि कांग्रेस शासन द्वारा थोपी गई एकाधिकार वाली नीति को भाजपा सरकार द्वारा बदला जाएगा एवं छोटे समूहों में दुकानों को नीलाम करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को व्यापार करने के लिए मौका दिया जाएगा। यही बदलाव होलसेल व्यवसाय में भी किया जाना चाहिए, जो कि शासन द्वारा चलाया जा रहा है। शराब व्यवसाय में जुड़े लोगों से पूछने पर उनके द्वारा दिए गए कुछ सुझाव हम प्रदेश सरकार के सामने रख रहे हैं।
ये आए सुझाव
1 . विदेशी मदिरा एवं बीयर के जिन ब्रांडों पर फ्रेंचाइज फीस लग रही है, उसे कम किया जाए, ताकि बाहर से अवैध रूप से आने वाली मदिरा बंद हो जाए एवं प्रदेश में बनी ब्रांडेड मदिरा बाहर जाए, इससे स्थानीय विदेशी शराब एवं बीयर बनाने वाली फैक्टरियों का व्यापार बढ़ेगा तो निकटवर्तीय राज्यों में चंडीगढ़, पंजाब से आकर जो मदिरा बिकती है, वह म.प्र. से जाएगी। ड्यूटी के स्लैब जो अभी बहुत ज्यादा है, उन्हें कम करके 3 या 4 तरह के स्लैब बनाए जाए एवं ड्यूटी भी कम की जाए ताकि परमिट पर मिलने वाला माल बढ़ सके। इससे शासन को वैट एवं 8 प्रतिशत परिवहन शुल्क की अतिरिक्त आय हो जाएगी। जो बड़े और बाहर के ब्रांड की फैक्टरिया मध्यप्रदेश में खुल चुकी हैं उन्हें स्थानीय मानते हुए उन पर लगने वाली अतिरिक्त ड्यूटी हटा दी जाए। इस वजह से कई बीयर की कंपनियां मध्यप्रदेश छोड़कर चली गई हैं एवं प्रदेश में स्थानीय ब्रांडों की भरमार हो गई और अच्छे ब्रांड प्रदेश की दुकानों पर नहीं मिलते। जिसके कारण मध्यप्रदेश पिछड़े प्रदेशों में गिना जाता है।
2. शासन ने नई दुकानें खोलने की मनाही कर रखी है, जिसकी वजह से 10 सालों से नई दुकान नहीं खुल पाई, बल्कि कुछ दुकानें बंद कर दी गई। बड़े शहरों में कुछ नई दुकानें खोली जाएं और कुछ दुकानें जो बहुत ज्यादा नजदीक-नजदीक में खुली हुई हैं और आपस में प्रतिस्पर्धा करते हैं उन दुकानों की सीमा बढ़ाकर उन्हें नए क्षेत्रों में स्थापित किया जाए। ग्रामीण क्षेत्र में देशी पर विदेशी मदिरा और विदेशी पर देशी मदिरा बेचने की अनुमति देकर भी दुकानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। शासन चाहे तो उत्तरप्रदेश भाजपा सरकार द्वारा जो आबकारी नीति पिछले दो वर्षों में लागू की गई है उसे प्रदेश में लागू कर सकता है। उत्तरप्रदेश का राजस्व नई नीति से बढ़ गया है महाराष्ट्र की तरह स्थायी रूप से मदिरा दुकानों लायसेंस भी जारी करना एक विकल्प हो सकता है। किसी भी व्यापार में एकाधिकार जनता एवं शासन दोनों के लिए सही नहीं होता। लेकिन, वर्तमान में कांग्रेस शासन द्वारा जारी नीति ही चल रही है, जिसके तहत पूरे-पूरे जिले के ठेके नीलाम किए गए थे। इस वजह से गिनती के लायसेंसी रह गए और शराब की कीमत अनाप-शनाप बढ़ाकर जनता को परेशान किया जा रहा है। महंगी शराब होने के कारण जहरीली शराब के कई कांड इस वर्ष मध्यप्रदेश में हुए हैं एवं कई निर्दोष लोगों की जानें गई हैं। छोटे-छोटे समूह करके दुकानें ज्यादा लायसेंसियों को दी जाए ताकि प्रतिस्पर्धा होती रहे और शराब ज्यादा महंगी ना हो।
3. प्रदेश में ड्यूटी बढ़ाकर शराब को इतना महंगा कर दिया है कि अब शराब आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है और लोग नशे के लिए सस्ता नशा जैसे चरस, गांजा, भांग, पंक्चर बनाने का ट्यूब, आयोडेक्स, मेंड्रेक्स की गोलियां, कफ सिरफ, नशे की गोलियों सहित तमाम सस्ते नशे कर हैं, जिसके कारण अपराध बढ़ रहे हैं और नौजवान पीढ़ी का भविष्य खतरे में पड़ रहा है, क्योंकि इन नशों की लत ऐसी है कि आदमी किसी काम का नहीं रहता और असमय मौत के आगोश में चला जाता है, जबकि शराब सबसे सुरक्षित नशा है। इसलिए इसकी कीमत कम की जाए, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।
2020 : मौत के आंकड़े
- 2 मई - रतलाम जिले में 4 की मौत
- 6 सितंबर - दिवानियां गांव में 2 लोगों की मौत
- 7 सितंबर - बड़वानी में 2 लोगों की मौत
- 15 अक्टूबर - उज्जैन में 14 लोगों की मौत
2021 : मौत के आंकड़े
- 7 जनवरी - खरगोन जिले में 2 की मौत
- 11 जनवरी - मुरैना में 20 लोगों की मौत
- 27 जुलाई - मंदसौर में 6 लोगों की मौत
- 29 जुलाई - खरगोन में 2 लोगों की मौत
- 31 जुलाई - इंदौर में 6 लोगों की मौत
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