जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

इस सप्ताह इंदौर में बैंककर्मी और उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। कारण सुसाइड नोट में लिखा कि उनमें जीने की हिम्मत नहीं रही और वह कठिनाइयों का सामना नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इनके पास कुछ नहीं था। खुद का फ्लैट, नौैकरी, गहने सब होने के बावजूद इन्होंने जिंदगी को खत्म कर लिया। इन लोगों ने अपनी कई इच्छाएं अपने परिवार वालों के सामने रखी कि हमारे मरने के बाद हमारी अर्थी दूल्हा-दुल्हन की तरह सजाना...। मरने के बाद की ख्वाहिश...वाली बात समझ से परे है...। ऐसे लोगों की परिवारवाले अंतिम इच्छा तो पूरी कर देते हैं, लेकिन उन्हें जिंदगीभर पछतावा रहता है।

वर्तमान में हालात इतने बदल गए है कि लोगों की जिंदगी में सुकून नहीं के बराबर रह गया है। हर आदमी व्यस्त है और उसे मानसिक शांति नहीं मिल रही है। ऐसे में वह डिप्रेशन में रहने लगा है। ऐसे व्यक्ति मानसिक तनाव हो रहा है तो वह अपने मित्रों या परिजनों से परेशानी साझा कर ले तो आत्महत्या जैसे घातक कदम वह नहीं उठा पाएंगे। वैसे सुसाइड करने वाले व्यक्ति भी चाहते हैं कि उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति मिले, जो उनकी समस्या का निदान कर उन्हें सही राह दिखाए। वहीं, घर में जो बड़े हैं, उन्हें ऐसे बच्चों की परेशानियों को खुद भी समझना होगा कि आखिर बच्चों में तनाव क्यों हो रहा है। महत्वपूर्ण यह कि उन्हें कोई लंबा-चौड़ा भाषण न देकर उन्हें सकारात्मकता की बातें बताना होगी। उनसे प्रश्न करना ऐसे समय अनुचित होगा। अच्छा हो कि उनकी पूरी बातें गंभीरता से सुने और उन्हें आश्वस्त करें कि सब कुछ ठीक हो जाएगा...।  हमारे लिए यही बेहतर होगा कि शांत रहकर उनकी बातें सुनें। जो लोग आत्महत्या करने के बारे में सोचते हैं उन्हें जवाब या समाधान नहीं चाहिए। वे अपना डर और चिंताएं व्यक्त करने के िलए एक सुरक्षित स्थान चाहते हैं, जहां उनकी बात को ही सुना जाए...। वैसे ऐसे लोगों की बातें सुनना आसान भी नहीं रहता है, लेकिन सावधानी इसमें है कि उनकी बात पर कुछ कहने या टिप्पणी करने की कोशिश नहीं होना चाहिए  हमें केवल उन तथ्यों को ही नहीं सुनना है, जो वह व्यक्ति बता रहा है, बल्कि उनके पीछे छिपी भावनाओं को भी समझना है। इस तरह अगर उस व्यक्ति के दर्द को हमने सहजता से समझकर उसे आत्महत्या नहीं करने के लिए मना लिया तो समझ लोग पूरा एक परिवार उजड़ने से बचा लिया। इसलिए यह भी जरूरी है कि परिवार में, मोहल्ले में यदि कोई परिवार या व्यक्ति यदि खोया-खोया रहे तो होकर उससे बात करें और उसकी परेशानियों को साझा करे तो हो सकता है कि आपके इस प्रयास से वह आत्मघाती कदम उठाने से बच जाए...।

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