जवाबदेही @ इंदौर

देश में अब नशा ऑनलाइन बिक रहा है और कई मामले में शिकंजा तक पुलिस ने कसा है। ई-कॉमर्स कंपनियों से ऑनलाइन गांजा, ड्रग्स व अन्य प्रतिबंधित सामग्री बेचे जाने के मामले सामने आने के बाद इंदौर जला प्रशासन ने इन कंपिनियों को चेतावनी दी है। कलेक्टर मनीष सिंह ने मीडिया को चर्चा में बताया कि इस तरह की सामग्री बेचने की बात अगर सामने आती है तो संबंधित कंपनी के डायरेक्टरों पर रासुका जैसी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाएगी।

देश में नशे का धंधा बढ़ रहा है। हाल ही में मध्यप्रदेश के भिंड जिले और धार्मिक नगरी हरि‍द्वार में पुलिस ने करीब 20 किलो गांजा जब्त किया, हालांकि गांजे की यह मात्रा उतनी ज्‍यादा नहीं है, लेकिन इसमें जो सबसे दिलचस्प बात है वो यह है कि अब नशीली सामग्री की खरीद-फरोख्त ‘ऑनलाइन’ हो गई है। इस धंधे से जुड़े अपराधी अब बेहद ‘स्मार्ट’ हो गए हैं और वे अब बेहद आधुनिक ‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस धरपकड़ की शुरुआती जांच में जो खुलासा हुआ उसमें पता चला कि ‘अमेजन’ जैसे बड़े इंटरनेशनल शॉपिंग वेबसाइट (ई-कॉमर्स) की मदद से सिर्फ इसी एक प्रकरण में करीब 1 करोड़ 10 लाख का गांजा बेच दिया गया।  

क्यों बदल गया तरीका?

एक पुलिस अधि‍कारी ने नाम प्रकाशि‍त नहीं करने की शर्त पर बताया कि नशे की तस्करी और हेराफेरी के परंपरागत तरीकों में बहुत रिस्क होती है, इसमें तस्कर को काम पर लगाया जाता था, इसके लिए उसे कई मोर्चों से गुजरना पड़ता था, फोन का, मैसेज का इस्तेमाल करना, एक जगह से दूसरे जगह जाना, रास्ते में नाकाबंदी पर तलाशी, टोल नाकों पर पूछताछ और ट्रेन-बस में चैकिंग आदि जैसी रिस्क होती थी। लेकिन ऑनलाइन में इतनी रिस्क नहीं है, ऑनलाइन में सिर्फ दो ही छोर हैं, एक जहां से सामान पैक किया गया और दूसरा जहां भेजा गया। बीच में कोई खतरा या रिस्क नहीं। इसमें फि‍जिकली आदमी की मौजूदगी न के बराबर होती है, ऐसे में पुलिस के लिए चुनौती बढ़ जाती है और तस्करों का काम आसान हो जाता है, इसलिए आजकल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बढ़ गया है। नशे का यह धंधा फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम के जरिए भी जारी है। सायबर सेल के आला अधिकारियों का कहना है कि नारको ट्रेड चाहे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया हो या ऑफलाइन किया गया हो, इसमें कार्रवाई नारकोटि‍क्स विभाग के जिम्मे ही है। इस तरह के मामलों में कोई अलग से कानून नहीं है, वहीं एनडीपीएस के तहत कार्रवाई होती है। 


Cyber cell नहीं करता कार्रवाई

कई लोगों को यह भ्रम रहता है कि अगर नशीले पदार्थों की तस्करी ऑनलाइन हो रही है इसलिए इसमें कार्रवाई सायबर सेल करता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। ऑनलाइन कारोबार वस्तुओं के ट्रांसफर का एक जरियाभर है, इसमें किसी तरह की इंटरनेट या तकनीकी छेड़छाड़ नहीं होती है, इसलिए यह नारकोटिक्स विभाग के तह‍त ही आता है। हैकिंग, फि‍शिंग, अकाउंट से पैसे निकाल लेना, बैंकिंग ठगी, वेबसाइट, फेसबुक, िट्वटर आदि के माध्‍यम से किसी अपराधि‍क गतिविधि‍ को अंजाम देना आईटी एक्ट के तहत आता है।

3 साल में 455% बढ़ा ड्रग्स कारोबार

पिछले तीन साल में भारत में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी बढ़ा है। देश में ड्रग्स का बढ़ता कल्चर गंभीर समस्या बन गई है। यूएनओडीसी के वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 23.4 करोड़ लोग ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं। हर साल ड्रग्स के कारण करीब 2 लाख लोग जान गंवा बैठते हैं।

जुलाई 2016 में राज्य सभा में पेश किए गए राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीबी) के नशे संबंधी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन ड्रग्स या शराब के चलते 10 मौतें या आत्महत्याएं होती हैं। इनमें से केवल एक मौत पंजाब में होती है। इन आंकड़ों के मुताबिक ड्रग्स की लत से जुड़ी सबसे ज्यादा आत्महत्‍याएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में होती हैं।

‘हेरोइन’ सबसे ज्यादा पसंद

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में दावा किया गया था कि साल 2017 में देशभर से करीब 3.6 लाख किलो नशीली दवा जब्त की गई थी। इसमें बड़ी मात्रा में गांजा मिला है, लेकिन हेरोइन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2017 में देशभर से 2551 किलो अफीम, 2146 किलो हेरोइन, 3.52 लाख किलो गांजा, 3218 किलो चरस और 69 किलो कोकेन बरामद हुई थी। वर्ष 2013 के बाद कोकेन की ये सबसे बड़ी मात्रा बरामद हुई थी। कोकेन को हाई प्रोफाइल पार्टी ड्रग माना जाता है। यह सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। 


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