जवाबदेही @ इंदौर
हवाई जहाज (एरोप्लेन) से यात्रा करना कौन नहीं चाहता? हर कोई सुख-सुविधाओं वाली यात्रा चाहता है..। सफर में कोई चिकचिक नहीं होनी चाहिए। कुछ सालों पहले यह माना जाता था कि अमीर आदमी ही हवाई जहाज से सफर करता है..., लेकिन धीरे-धीरे यह मिथ्या भी बदलती जा रही है और अब हवाई यात्रा की टिकट अब सामान्य व्यक्ति की पहुंच में भी आ चुका है।
पहले सरकारी एयरपोर्ट हुआ करते थे और इतनी माथापच्ची नहीं होती थी, जितनी अब हो रही है, उसके पीछे सिक्युरिटी कारण है, जो जरूरी भी है। एयरपोर्ट का निजीकरण होने और यात्रियों की संख्या बढ़ने की वजह से एयरपोर्ट बड़े और आधुनिक बन चुके हैं। एयरपोर्ट पर पहले खाने-पीने के सामान के साथ कुछ जरूरी सामान की दुकानें हुआ करती थी। अब एयरपोर्ट पर मॉल कल्चर ने भी अपना दखल दे दिया है। जो सुविधा भी है और दुविधा में डालने वाला भी।
आपको बता दे कि जिस समय को बचाने और सुविधाओं के लिए लोग एयरलाइंस कंपनियों को मुंहमांगा दाम देती है, वही समय न तो बचता है और ना ही सुविधाएं मिलती है। आप आश्चर्य करोगे कि रेल और बस से यात्रा करने वाला आदमी पहले गंतव्य तक पहुंच जाता है, लेकिन हवाई सफर करने वाले व्यक्ति का समय हवाई जहाज तक पहुंचने में इतना व्यर्थ चला जाता है कि उसने जो हवाई सफर के सपने देखे थे, वो काफूर हो जाते हैं। एेसा नहीं है कि हवाई जहाज समय पर नहीं उड़ान भरता, वो तो अपने निश्चित समय में उड़ जाता है, लेकिन इस हवाई जहाज तक पहुंचने में यात्री को जितने धक्के खाने पड़ते है, शायद उसे बस या ट्रेन में सफर के दौरान लगे होंगे।
एयरपोर्ट पर अपने साथ सही डॉक्युमेंट्स जरूर लेकर जाएं। यह बहुत बेहद जरूरी हैं, वरना आपकी इनके बिना एंट्री नहीं हो सकती। आप इन डाक्युमेंट को दिखाकर एयरपोर्ट में प्रवेश कर जाते हैं। बस या ट्रेन से सफर करने वाला व्यक्ति अपने घर से 30 से 45 मिनट पहले निकलता है, लेकिन हवाई यात्रा करने वाले व्यक्ति को मानकर चलिए 3 घंटे पहले से अलर्ट रहना पड़ता है, क्योंकि हवाई जहाज तक पहुंचने के लिए (चेकिंग प्वाइंट) सिक्युरिटी बहुत होती है।
बोर्डिंग पास
बोर्डिंग पास है होता है जिसमें अब कल सीट नंबर और व्यापक गेट नंबर होता है जिसमें से आप जो है फ्लाइट के लिए जो है जाते हैं वह गेट नंबर और आप कहां से कहां तक ट्रेवल कर रहे हैं और उसकी टाइमिंग और आपका नाम और आप किस सीट नंबर के साथ जो है उसमें सारी जानकारियां दी होती है उसे ही जो है बोर्डिंग पास कहा जाता है। सबसे ज्यादा समय यात्री का यहीं पर व्यर्थ जाता है। कई बार यात्रियों की फ्लाइट मिस हो जाती है। लोगों को एयरलाइंस के काउंटर में टिकट को बोर्डिंग पास में कनवर्ट कराने के लिए काफी समय लगता है। बोर्डिंग पास कराने के लिए निश्चित समय तय किया गया है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि यात्री बोर्डिंग पास के लिए लाइन में लगा होता है और समय खत्म हो जाता है और काउंटर बंद कर दिया जाता है। ऐसे में उस यात्री की फ्लाइट निश्चित समय पर उड़ान भर चुकी होती है। ऐसे में यात्री का समय गया और किराया भी डूबा। सिक्युरिटी के लिए करीब चार चेकिंग प्वाइंट है, जहां पर यात्रियों की लंबी कतार लग जाती है और जब तक उसका नंबर आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। एयरपोर्ट पर संबंधित व्यक्ति की जो फ्लाइट होती है, उसके जाने की जानकारी तो मिल जाती है, लेकिन जब तक चैकिंग नहीं हो जाती है, तब तक उस यात्री को आगे नहीं जाने दिया जाता। समय से पहले भी पहुंचने के बाद यात्री को बगैर यात्रा किए लौट जाना पड़ता है...।
मुसीबत : इंदौर में इसी हफ्ते का एक उदाहरण देखिए
इंदौर से प्रयागराज जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे आधा दर्जन से अधिक यात्री अव्यवस्था का शिकार हो गए। बोर्डिंग पास होने और सामान के विमान में लोड होने के बाद भी वे फ्लाइट में सवार नहीं हो पाए। यात्रियों ने एयरलाइंस के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने देरी का हवाला देकर फ्लाइट में सवार करवाने से मना कर दिया और उनका सामान भी उतार दिया। फ्लाइट इन यात्रियों को लिए बिना उड़ गई। वाकया 21 नवंबर रविवार दोपहर का है। इंडिगो की उड़ान संख्या सिक्स ई 7314 दोपहर 2.45 बजे इंदौर से प्रयागराज के लिए जाती है। शहर के व्यापारी बीएल सोनी के अनुसार वह भी परिजन के साथ एयरपोर्ट गए थे। हम तय समय से पहुंच गए थे। उनके अनुसार प्रयागराज में एक रिश्तेदार की तबीयत खराब है। हमारे पास ई-बोर्डिंग था, जबकि चेक इन कांउटर पर हमारा सामान ले लिया गया। हमें 11 नंबर गेट से जाना था। हम लोग वहीं जाकर बैठ गए थे। करीब 2.30 बजे हमने संपर्क किया कि अब तक बोर्डिंग अनाउंस नहीं हुआ है तो एयरलाइंस के कर्मचारियों ने बताया कि बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि आप लोग देरी से आए हैं। हमने कहा कि हम तो इसी गेट पर बैठे हैं। स्क्रीन पर कोई सूचना डिस्प्ले नहीं हुई, न कोई अनाउंसमेंट किया गया। इस पर कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना के कारण घोषणा बंद है। हमने कहा कि हमारा जाना जरूरी है तो उन्होंने मदद करने से इन्कार कर दिया। जब उनके अधिकारी से बात की तो उन्होंने भी देरी का हवाला देकर मदद करने से मना कर दिया। इसके बाद हमारा सामान फ्लाइट से उतार दिया गया, जबकि फ्लाइट वहीं खड़ी थी। सोनी ने बताया कि मामले में हम उपभोक्ता फोरम में शिकायत करेंगे।
जेब पर डलता डाका : हवाई यात्रा के सपने संजोए जब यात्री एयरपोर्ट पर पहुंचता है और यदि उसे कुछ खाना है या किसी बच्चे को कोल्डड्रिंक पीना है या कॉफी पीना है तो खाद्य सामग्री के दाम सुनकर होश उड़ जाएंगे। दिल्ली एयरपोर्ट पर कॉफी 200/- रुपए में मिलती है। पानी की बोतल 50/- रुपए, सैंडवीच 250/- रुपए। एक व्यक्ति के नाश्ते के ही 500 से 600 रुपए वसूले जा रहे हैं। खाने के दामों को लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन को सोचना चाहिए और उिचत दाम रखना चाहिए, ताकी व्यक्ति को खुद को ठगे जाने का अहसास न हो, क्योंकि एयरपोर्ट पर आए व्यक्ति को पता रहता है कि बाजार में यह खाद्य सामग्री के दाम कितने है। वह मजबूरी में इतने रुपए यहां खर्च कर देता है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर लग रहे हैं फ्लैप गेट्स, यात्रियों को हो रही है परेशानी
दिल्ली एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनलों पर मेट्रो की तरह फ्लैप गेट लगाए जा रहे हैं। इन गेटों से बोर्डिंग पास शो करके ही आगे जाया जा सकेगा। बोर्डिंग पास के वैलिड होने पर ही यह फ्लैप गेट ओपन होंगे। इससे पहले कोरोना शुरू होने पर यहां जो मशीनें लगाई गई थी वे फ्लैप गेट वाली नहीं थीं। एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि यह फ्लैप गेट यहां के टर्मिनल-3 और 2 पर लग चुके हैं। टी-1 पर भी इन्हें लगाया जा रहा है। तीनों टर्मिनलों पर 16 फ्लैप गेट होंगे। इनमें टी-3 पर 8, टी-2 और टी-1 पर 4-4। इन फ्लैप गेट का डिजिटल सिस्टम तमाम एयरलाइंस से कनेक्ट होगा। जोकि वैलिड बोर्डिंग पास दिखाने पर आगे जाने के लिए रास्ता ओपन करेगा।
ट्रायल बेस पर लगाई गई कुछ मशीनों में थोड़ी परेशानी भी सामने आ रही है। कई बार मशीनें ठीक से बोर्डिंग कार्ड को पढ़ नहीं पाती। उस वक्त परेशानी हो जाती है और कुछ ही देर में पीछे खड़े यात्रियों की लंबी लाइन लग जाती है। इसमें आने वाली खराबी को ठीक किया जा रहा है। वहीं एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी से जुड़े कुछ सूत्र इसे फिलहाल के लिए ठीक नहीं मान रहे हैं। क्योंकि इनमें आने वाली जरा सी भी तकनीकी दिक्कत से यात्रियों की लाइन लग जाती है।इसके अलावा एयरपोर्ट पर पीक आवर्स में अभी भी यात्रियों की लाइनें लग रही हैं। यात्रियों का यह भी कहना है कि यहां यात्रियों की जांच के लिए जितने गेट हैं। उनमें से कई बार कुछ बंद रहते हैं जबकि उसी वक्त यात्रियों की लाइनें लगी होती हैं।
हर उम्र के व्यक्ति को परेशानी
दिल्ली एयरपोर्ट पर ये हालत है कि हर उम्र के लोगों को सफर करने के लिए कई परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है। दिल्ली एयरपोर्ट पर कई जगह की फ्लाइट से यात्री पहुंचते हैं। जो पहले ही चैकिंग कराकर पहुंचते हैं, उनकी फिर से जांच की जाती है। ऐसे में यात्रियों का समय व्यर्थ जाता है। बुजुर्ग व्यक्ति की सबसे ज्यादा परेशानी है, क्योंिक यहां पर बैटरी से चलने वाली कारों की संख्या कम है, ऐसे में बुजुर्ग यात्रियों इन कारों की सुविधा नहीं मिल पाती और करीब दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। अगर दिल्ली एयरपोर्ट पर दोबारा जांच न हो तो आदमी का समय बच सकता है। क्योंकि वह पहले सी ही अपनी जांच कराकर आ चुका होता है, ऐसे में दोबारा जांच के फेर में पड़कर कई बार यात्रियों की फ्लाइट मिस हो जाती है...।
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