जगजीतसिंह भाटिया
प्रधान संपादक

बात कानून की है और इसे मानने और मनवाने और लागू करने की दिशा में अच्छी सोच रखने वालों को लेकर है। हमारे देश में कानून बनाना और तोड़ना ये सब आसान है। कभी-कभी कोई कानून को मानने की नजीर पेश करता दिखाई दे जाता है, नहीं तो कानून िकस चििड़या का नाम है, इसकी धज्जियां उड़ाने की कई बातें सामने आ चुकी है...। लेकिन, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। अब कानून को कैसे अपनाया जाता है, या मनवाया जाता है, इसका उदाहरण हम ब्राजील की एक घटना से ले सकते हैं। ब्राजील के लोग फुटबॉल के दीवाने हैं। उनकी टीम विश्व कप के इतिहास में सबसे सफल राष्ट्रीय टीम है, जो हर विश्व कप में खेलनेवाली एकमात्र टीम है। 

फुटबॉल के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है कि अंग्रेजों ने भले ही इसका अविष्कार किया हो, पर ब्राजील के लोगों ने इसे आत्मसात किया है।  कोरोना महामारी के कारण ब्राजील में फुटबॉल मैचों पर रोक लगा दी गई थी।  अरसे बाद वहां दो प्रसिद्ध फुटबॉल क्लबों- सैंटोस और ग्रेमियो- के बीच मुकाबला होना था।  दिशा निर्देश तय कर दिये गये थे कि केवल संपूर्ण टीकाकरण करवानेवाले या नेगेटिव आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट वाले लोग ही स्टेडियम में जाकर मैच देख सकेंगे। ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने कोरोना टीकों के प्रति संदेह व्यक्त किया था और खुद टीका नहीं लगवाया। जुलाई 2020 में वे खुद संक्रमित हुए और 14 दिन क्वारंटाइन भी झेला। दिलचस्प बात यह है कि फुटबॉल क्लबों- सैंटोस और ग्रेमियो- के बीच का मुकाबला देखने वह स्टेडियम पहुंच गए। अधिकारियों ने उन्हें मैच देखने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने बेहद सम्मान के साथ राष्ट्रपति से कहा कि पहले आप कोरोना टीका लगवा लें, फिर आप आगे का मैच देख सकते हैं। 

राष्ट्रपति ने कई दलीलें भी दीं, पर अधिकारी नहीं माने। हमारे देश में नेता पर नेतागीरी और अफसरों पर अफसरी हावी रहती है..., लोग मरे तो मरे, जुलूस, जलसे, चुनाव-उपचुनाव सब कराते रहते हैं। वहीं, 2020 में तो कई नेता और अफसर संक्रमित होते हुए भी जनता के बीच पहुंचे और जब जांच िरपोर्ट आई तो लोगों से आग्रह किया कि जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं, जांच करा लें। कानून का हमारे देश में मजाक उड़ाते हैं खुद अफसर और नेता... और सख्ती होती है जनता पर..।

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