- प्रतापसिंह सोढ़ी
मो. 89302-35285
फिर भी पुरस्कार प्राप्त करने के लिए जो हथकंडे अपनाने पड़ते हैं, मैं हमेशा उनसे दूर रहा।क्या आप अपने काम से संतुष्ट हैं?नहीं, बहुत-सी खामियां रह गई हैं, जिन्हें अगले जन्म में दूर करुंगा। आप एकाध सवाल और पूछकर बिदा लें तो बड़ी मेहरबानी होगी।आिखरी सवाल घोष साहब! आपके बारे में अफवाह है कि इस आयु में भी आपने एक महिला को रखा हुआ है।उनका बर्फ-सा सर्द कांपता हाथ मेरे हाथों में आ गया और रूंधे कंठ से वे बोले - क्या इन हाथों में किसी को थामने की शक्ति है। न मुंह में दांत, न पेट में आंत, बुझी हुई आंखों की रोशनी और तिल-तिल गलती मेरी जर्जर काया..., मैं तो मोत के दिन गिन रहा हूं।इतना कह वह चुप हो गए और मू्र्तियों को निहारने लगे।
अपनी धोती के छोर से आंखों मे तैरने वाले आंसुओं को पोंछते हुए बोले- जिस औरत के बारे में मनघड़ंत इल्जाम मुझ पर लगाए जा रहे हैं, वह एक विधवा औरत है। दीपा को संरक्षण की आवश्यकता थी और मुझे बुढ़ापे में सहारे की। अब आप जाइए। मैं विश्राम करना चाहता हूं।दीपा हमें छोड़ने बाहर तक आईं और बोली, दादा जल्दी स्वस्थ हो जाएं, आप ईस्वर से प्रार्थना करें।अब तक संभाले दीपा के आंसू टप-टप झर पड़े।
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