इंदौर के बिगड़े ट्रैफिक में सुधार लाने के लिए  लगी जनहित याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने एक हाईपावर कमेटी बनाई है। जिसमें मेयर, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर के अलावा प्रधान जिला न्यायधीश व क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी शामिल किए गए है। इस कमेटी के माध्यम से यातायात सुधार के लिए विभागों के समन्वय का काम महत्वपूर्ण रहेगा।

पिछले दिनों याचिका पर सुनवाई के दौरान मेयर पुष्य मित्र भार्गव न्याय मित्र के रुप में मौजूद हुए थे। उन्होंने ई रिक्शा को लेकर पाॅलिसी बनाने, ई चालन को लेकर सख्ती के अलावा एक कमेटी बनाने पर भी सुझाव दिया था। कोर्ट ने हाई लेवल कमेटी का गठन कर समिति को 8 सितंबर तक ट्रैफिक को लेक विस्तृत प्लान बनाने के लिए कहा है। मेयर ने पिछली सुनवाई में कहा था कि ट्रैफिक सुधार के लिए कठोर निर्णय जरुरी है। जिसे जल्दी लागू करना चाहिए।

उन्होंने वाहनों का बीमा रिन्यू कराते समय ई चालन वसूलने का भी सुझाव दिया था। उधर ट्रैफिक को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की ट्रैफिक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ने भी बैठक ली थी। उन्होंने हेलमेट की अनिवार्यता पर जोर दिया था। इसके बाद प्रशासन ने हेलमेट के बगैर पंपों पर पेट्रोल नहीं देने का निर्णय लिया।

 क्यों है इंदौर का ट्रैफिक बेटपरी 

  • इंदौर में शाम को सड़क किनारे फल-सब्जी व अन्य सामान ठेलों पर बिकने लगता है। वह सड़क की एक लेन घेर लेते है। इसके अलावा ई रिक्शा कभी भी खड़े हो जाते है। इस कारण पीछे से आने वाले वाहनों को रुककर आगे निकलना पड़ता है। इससे ट्रैफिक की गति धीमी हो जाती है। 
  • ट्रैफिक सिग्नलों का समय ज्यादा होने के कारण कुछ चौराहों पर वाहनों की कतार लग जाती है। पलासिया चौराहा, एलआईजी चौराहा, दरगाह चौराहा पर यह परेशानी ज्यादा नजर आती है।
  • इंदौर में चौराहों की ट्रैफिक इंजीनियरिंग ठीक से नहीं हो पाई है। कई चौराहों के लेफ्ट टर्न व्यवस्थित नहीं है। इस कारण चौराहों पर ट्रैफिक जाम ज्यादा लगता है।

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