मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में कैबिनेट बैठक हुई। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों के 9 वर्ष से लंबित पदोन्नति के मामले का निराकरण किया गया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों, किसानों और आम जनता के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं।

ये हुए फैसले

  • नौ वर्षों बाद लंबित पदोन्नति का रास्ता खोला जा रहा है।
  • आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर उनके हितों को संरक्षित किया गया है।
  • अनुसूचित जनजाति के लिए 20 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
  • अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोकसेवकों को भी मेरिट के आधार पर पदोन्नति प्राप्त करने का अवसर दिया गया है।
  • वर्तमान वर्ष में ही आगामी वर्ष की रिक्तियों के लिए पदोन्नति समिति की बैठककर चयन सूची बनाये जाने का प्रावधान किया गया है अर्थात अग्रिम डी.पी.सी. के प्रावधान किए गए हैं।


पदोन्नति के सूत्र में वरिष्ठता का पर्याप्त ध्यान रखा गया है:

  • वरिष्ठ लोकसेवकों में से मेरिट के अनुसार न्यूनतम अंक लाने वाले लोकसेवक पदोन्नति हेतु पात्र होंगे, प्रथम श्रेणी के लोकसेवकों के लिए merit cum seniority के प्रावधान किया गया है।
  • पदोन्नति के सूत्र में कार्यदक्षता को प्रोत्साहित किया जाना लक्षित है।
  • पदोन्नति के लिए अपात्रता का स्पष्ट निर्धारण किया गया है। किन परिस्थितियों में कोई लोक सेवक अपात्र होगा एवं दण्ड का क्या प्रभाव होगा यह स्पष्ट रूप से लेख किया गया है।
  • किसी भी विभागीय पदोन्नति समिति बैठक के सन्दर्भ में निर्णय के पुनर्विलोकन हेतु रिव्यू डी.पी. सी. की बैठक आयोजित किये जाने के लिए स्पष्ट प्रावधान किये गए हैं।
  • नवीन पदोन्नति नियमों में परिभ्रमण की व्यवस्था समाप्त की गई है। इससे पदोन्नति हेतु अधिक पद हो सकेंगे।
  • पदोन्नति समिति को शासकीय सेवक की उपयुक्तता निधर्धारण करने का अधिकार दिया गया है।
  • चतुर्थ श्रेणी के लिये अंक व्यवस्था नहीं होगी, केवल पदोन्नति के लिए उपयुक्त होने पर ही पदोन्नति प्राप्त हो सकेगी।
  • अर्हकारी सेवा के लिए किसी वर्ष में की गई आंशिक सेवा को भी पूर्ण वर्ष की रोवा माना जायेगा, यदि वर्ष के एक भाग की सेवा भी की गई है तो उसे पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा।
  • यदि किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध है तो उसे पूर्ण वर्ष के लिए मान्य किया जा सकेगा।
  • यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी की पदोन्नति रुकती है तो उसे पदोन्नति प्राप्त होने पर पूरी वरिष्ठता दी जाएगी।
  • अप्रत्याशित रिक्तियों को घरान सूची/प्रतीक्षा सूची से भरे जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।
  •  प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शासकीय सेवक के पद के विरुद्ध पदोन्नति का प्रावधान किया गया है।

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