पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद कश्मीर में फंसे लोग अब अपने अपने शहरों की तरफ लौट रहे हैं। इस बीच लैंड स्लाइड के कारण जम्मू हाईवे पांच दिनों से बंद था। उसे आंशिक रूप से खोला जा रहा है। ज्यादातर पर्यटक ट्रैफिक जाम में फंसने का जोखिम उठाने के बजाए उड़ानों से अपने घरों की तरफ लौटने का विकल्प चुन रहे हैं। शुक्रवार को श्रीनगर एयरपोर्ट पर रेलवे स्टेशन जैसी भीड़ थी। सामान की जांच से लेकर बोर्डिंग तक के लिए लंबी-लंबी कतारें दिखाई दीं। यात्री फ्लाइट छूटने के डर से तय बोर्डिंग समय से काफी पहले एयरपोर्ट पहुंच रहे थे।
श्रीनगर से पर्यटकों की फ्लाइट की बुकिंग का दवाब बढ़ने का फायदा भी एयरलाइंस कंपनियों ने खूब उठाया। श्रीनगर से दिल्ली तक का किराया हमले के दूसरे दिन 25 हजार तक पहुंच गया था। सरकार ने कंपनियों को किराया सामान्य रखने के लिए कहा, लेकिन कंपनियों ने आपदा में अवसर खोजने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। मध्य प्रदेश के एक पर्यटक विश्वास बोराडे ने बताया कि श्रीनगर से इंदौर तक के दो टिकट उन्होंने 38 हजार में खरीदे, जबकि जाते समय 18 हजार में दो टिकट मिले थे।
दिल्ली, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़ जैसे श्रीनगर के निकटवर्ती शहरों का हवाई किराया ही 10 से 15 हजार प्रति यात्री लग रहा था। उधर, इस हमले के बाद कश्मीर के पर्यटन सेक्टर को भी नुकसान हो रहा है। होटल, वाहनों की बुकिंग धड़ाधड़ कैंसिल हो रही है। डल झील की हाउस बोट के वाहिद वाणी ने बताया कि हाउस बोट की 80 प्रतिशत बुकिंग कैंसल हो चुकी हैं। झील में 1220 हाउस बोट हैं और हजारों परिवारों को इससे रोजगार मिलता है। यहां तैरता मीना बाजार है। शिकारों पर दुकानें सजती हैं। 2 हजार से 15 हजार तक हाउस बोट का किराया होता है। इस सीजन में भी जून तक बुकिंग थी, लेकिन अब सब धीरे धीरे कैंसल होने लगी हैं। डर के कारण पर्यटक अब यहां आना नहीं चाहते।
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